यूपी की राजधानी लखनऊ के लिए एक सौ चालीस करोड़ का बजट की व्यवस्था है लेकिन जहां देखिए गंदगी ही गंदगी। आलम यह है कि प्रभावशाली ठेकेदार बिना सफाई कराए ही भुगतान कराने में सफल हो रहे हैं।
लखनऊ, दावा है कि सफाई कर्मचारियों की उपस्थिति नब्बे प्रतिशत पार कर गई है। अगर ऐसा तो शहर भी चमाचम दिखना चाहिए, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। सफाई कर्मियों की उपस्थिति की निगरानी स्मार्ट मोबाइल फोन पर चालू हुई तो कुछ ठेकेदारों ने अधिकारियों से मिलकर ऐसा खेल खेला कि ‘सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे’। मतलब मौके पर तैनात सफाई कर्मी तो न जाएं लेकिन मोबाइल फोन पर उनकी उपस्थित दर्ज हो जाए। भारी संख्या में सफाई कर्मचारियों की आपूर्ति करने वाले ठेकेदारों ने इसके लिए आपरेटर तैनात कर दिए हैं, जो सुबह ही सक्रिय हो जाते हैं, जिस क्षेत्र में सफाई कर्मी की तैनाती है, उस क्षेत्र में पहुंचकर उस कर्मी का स्मार्ट मोबाइल फोन को आपरेट कर देते हैं। इससे कंट्रोल रूम पर उसकी उपस्थिति दर्ज हो जाती है। मानदेय की यह रकम बंदरबांट होती है।
पहले तो सफाई कर्मचारियों की उपस्थिति पचास प्रतिशत से कम ही दर्ज हो रही थी, लेकिन सुबह सात बजे से नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने जूम पर मीटिंग चालू करने के साथ ही कंट्रोल रूम की निगरानी तंत्र को बढ़ाया तो कुछ अधिकारियों ने ठेकेदारों से मिलकर यह जादुई खेल खेला है। हकीकत में अधिकांश सफाई कर्मी तो मौके पर नहीं जा रहे हैं, लेकिन कर्मचारी की लोकेशन अपनी निर्धारित हद पर दिखाई दे रही है। नगर निगम में चल रहा यह फर्जीवाड़ा सामने आया है और अब भौतिक सत्यापन की तैयारी चल रही है।
देखिए मोबाइल पर दर्ज हो रही उपस्थित
कुल कर्मी मोबाइल पर उपस्थिति
- जोन एक 535 490
- जोन दो 254 235
- जोन तीन 1208 1083
- जोन चार 723 685
- जोन पांच 757 623
- जोन छह 1490 1305
- जोन सात 808 760
- जोन आठ 940 817
सफाई का कुल बजट सालाना 140 करोड़ः जोन पांच में 757 में से 623 सफाई कर्मचारियों की उपस्थिति स्मार्ट मोबाइल फोन पर दर्ज हो रही है लेकिन मानकनगर में दिख रही गंदगी ही हकीकत को बयां कर रही है। कूड़े का ढेर बता रहा है कि कई दिनों से सफाई कर्मी नहीं गए हैं। ऐसे में सफाई व्यवस्था देख रहे जोन के अधिकारियों की कार्य शैली पर सवाल खड़ा हो रहा है।
जुर्माने से नहीं डरते सफाई ठेकेदारः एक सौ चालीस करोड़ का बजट और जहां देखिए गंदगी ही गंदगी। यह बजट भी सिर्फ ठेेकेदारी प्रथा से हो रही सफाई का है। प्रभावशाली ठेकेदार बिना सफाई कराए ही भुगतान कराने में सफल हो रहे हैं। जुर्माने की रकम में भी बंदरबांट होता है और हकीकत में जुर्माने की अधिकांश रकम नगर निगम के खजाने में नहीं जमा हो पाती है। यह गंदगी भी निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त को ही दिखती है। पिछले दिनों ही अमीनाबाद के निरीक्षण पर गए नगर आयुक्त को गंदगी मिली। कृष्णानगर को नगर आयुक्त को कोतवाली के निकट गंदगी मिली। इसी तरह हरदोई रोड के मल्लपुर के आसपास भी बहुत गंदगी एकत्र थी। कार्यदायी संस्था का कार्य संतोषजनक न होने पर संस्था पर 25 हजार का जुर्माना लगाया गया। चित्रगुप्तनगर के तिवारीपुरम तथा विजयनगर रोड पर गंदगी मिली थी। कार्यदायी संस्था मेसर्स स्वच्छकार इंटरप्राइजेज पर दस हजार का जुर्माना लगाया गया था। यह कुछ मामले हैं, लेकिन हकीकत यह है कि ठेकेदारों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
भौतिक परीक्षण भी होगाः ठेकेदारी प्रथा पर तैनात सफाई कर्मचारियों का काम देख रहे सहायक नगर आयुक्त यमुनाधर चौहान का कहना है कि अभी मोबाइल फोन से लोकेशन के हिसाब से ही ड्यूटी लग रही है। आगे भौतिक परीक्षण कराया जाएगा। मोबाइल फोन से सफाई कर्मचारियों को इसलिए जोड़ा गया है, जिससे उनकी सही संख्या पता चल सके और अब इसके बाद भौतिक परीक्षण होगा। कुछ कर्मचारियों के पास अभी मोबाइल फोन भी नहीं है, जिससे उनकी लोकेशन नहीं पता चल पा रही है।