MSMEs news Covid Mahamari आने के बाद MSMEs Ministry ने छोटे और मझोले उद्यम को सपोर्ट करने के लिए कुछ प्रोग्राम शुरू किए हैं। इसका मकसद उद्यमों खासकर MSMEs को मार्केट और क्रेडिट एक्सेस मुहैया कराना है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को MSME का प्रदर्शन सुधारने के लिए बड़ा फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में Raising and Accelerating MSME Performance (RAMP) स्कीम के लिए 6062.45 करोड़ रुपये का फंड मंजूरी किया गया है। RAMP स्कीम FY 2022-23 में शुरू होगी।
क्या है RAMP
RAMP स्कीम के तहत मंजूर 6062 करोड़ रुपये में World Bank 3750 करोड़ रुपये का कर्ज देगा तो सरकार 2312.45 करोड़ रुपये की फंडिंग करेगी। यह रकम MSMEs के कारोबार विस्तार में काम आएगी। RAMP स्कीम को वर्ल्ड बैंक चला रहा है। यह स्कीम Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises (MoMSME) के Covid से जुड़े प्रोग्राम को सपोर्ट करेगी।
RAMP का फायदा
RAMP योजना कोरोना महामारी के कारण MSMEs के सामने आ रही चुनौती के निपटारे में मदद करेगी। खासकर उद्यमों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने का काम करेगी। साथ ही उद्योगों के लिए कौशल बढ़ाने, कैपेसिटी बिल्डिंग, तकनीकी अपग्रेडेशन, डिजिटाइजेशन और मार्केटिंग में मदद देगी। इस योजना में केंद्र सरकार राज्यों के साथ काम करेगी ताकि नौकरियों के अवसर बढ़ें, मार्केट में प्रमोशन मिले, फंडिंग के ऑप्शन आएं और कमजोर सेक्शन को सपोर्ट दिया जा सके। RAMP का सीधा मकसद Atma Nirbhar Bharat mission को बढ़ावा देना है। इसके जरिए उद्योग के स्टैंडर्ड को बढ़ाया जाएगा और MSMEs को तकनीकी सहायता मिलेगी ताकि उद्योग आत्मनिर्भर बन सकें।
3 तरह से MSMEs को मदद देगा RAMP
- पॉलिसी प्रोवाइडर : बिजनेस बढ़ाने के लिए फैक्ट आधारित पॉलिसी बनाएगा।
- नॉलेज प्रोवाइडर : अंतरराष्ट्रीय स्तर का अनुभव कराकर उद्योग की छवि अच्छी करने में मदद करेगा।
- टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर : AI, डेटा एनालिसिस, मशीन लर्निंग जैसी अत्याधुनिक तकनीक का एक्सेस देगा।
63 मिलियन उद्योगों के लिए करेगा काम
सरकार RAMP के तहत 5 लाख 55 हजार MSMEs का कारोबार बढ़ाने के लिए पुरजोर कोशिश करेगी। इसमें महिला उद्यमियों की भागीदारी बढ़ाना भी मकसद है। RAMP का सबसे मजबूत टूल स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIPs) बनाना होगा, जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया जाएगा। राज्यों से MSMEs के लिए SIP मांगे जाएंगे और वरियता के आधार पर उन्हें फंडिंग होगी।