अमेरिका लगातार रूस और चीन के एंटी-सेटेलाइट मिसाइल परीक्षणों की आलोचना करता रहा है। हालांकि अमेरिकी नौसैनिक युद्धपोत अब से 14 साल पहले एक खुफिया सैटेलाइट को मार गिराने के लिए अमेरिकी युद्धपोत से इंटरसेप्टर मिसाइल से निशाना लगा चुूका है।
वाशिंगटन । अमेरिका को डर है कि जरूरत पड़ने पर चीन अंतरिक्ष की तकनीक का इस्तेमाल करके अमेरिकी रडारों और अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों को जाम कर सकता है। अमेरिका की रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआइए) की बाइडन प्रशासन को सौंपी गई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। इस रिपोर्ट के सामने आते ही अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने घोषणा की है कि अमेरिका अब सेटेलाइट रोधी मिसाइल प्रणालियों के परीक्षण पर रोक लगा रहा है। वह खुद भी ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा ताकि बाकी देश भी इस मानक का पालन करें।
अमेरिका लगातार रूस और चीन के एंटी-सेटेलाइट मिसाइल परीक्षणों की आलोचना करता रहा है। हालांकि अमेरिकी नौसैनिक युद्धपोत अब से 14 साल पहले एक खुफिया सैटेलाइट को मार गिराने के लिए अमेरिकी युद्धपोत से इंटरसेप्टर मिसाइल से निशाना लगा चुूका है। यह मुद्दा तब से जोर पकड़ चुका है जब सोवियत युग की एक खराब सेटेलाइट पिछले साल नवंबर में रूस ने मिसाइल दाग कर गिराया था।
अमेरिका ने चीन के डर से सेटेलाइट रोधी मिसाइल प्रणालियों के परीक्षण पर लगाई रोक
अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने कैलीफोर्निया स्थित वेनडेनबर्ग स्पेसफोर्स बेस में इसकी घोषणा की। उन्होंने अंतरिक्ष में किसी वस्तु पर सीधा निशाना लगाने वाले एएसएटी मिसाइल परीक्षण पर रोक लगाने की वजह स्पष्ट करते हुए कहा कि इससे अंतरिक्ष के मलबे में बढ़ोतरी नहीं होगी। साथ ही पृथ्वी की निचली कक्षा में तैनात उपग्रह भी सुरक्षित रहेंगे। लेकिन समझा जाता है कि अमेरिका ने चीन के डर से सेटेलाइट रोधी मिसाइल प्रणालियों के परीक्षण पर रोक लगाई है, ताकि उसके दुश्मन देश चीन को उस पर अंतरिक्ष में वार करने का कोई मौका ही नहीं मिले।
आक्रामक तरीके सेटेलाइट लांच कर रहा है चीन
सिंगापुर पोस्ट के मुताबिक अमेरिकी खुफिया एजेंसी डीआइए की 80 पेज की रिपोर्ट में अंदेशा जताया गया है कि चीन अंतरिक्ष की तकनीकों में आत्मनिर्भर बन गया है। अमेरिका से बढ़ते तनाव को देखते हुए वह आक्रामक तरीके से सेटेलाइट लांच कर रहा है और खुफिया उपग्रह भी तैनात कर रहा है। चूंकि चीन और रूस की अंतरिक्ष क्षमताएं बेतहाशा बढ़ती जा रही हैं, दोनों देशों ने अंतरिक्ष में मिलकर सैन्य अभ्यास भी शुरू कर दिए हैं। लेकिन डीआइए को अभी भी रूस के मुकाबले चीन ही बड़ी चुनौती लगता है। उसकी वर्ष 2018 से अंतरिक्ष में 250 तक आइएसआर सेटेलाइट (खुफिया उपग्रह) हैं। इसके अलावा, चीन दुश्मन देश के उपग्रहों को ध्वस्त करने पर भी तेजी से काम कर रहा है। डीआइए का यह भी मानना है कि चीन एसएआर सेटेलाइट को जाम करने के लिए जैमर भी विकसित कर रहा है। एसएआर सेटेलाइट वह हैं जो लक्षित क्षेत्रों और ग्रहों की स्पष्ट लाइव फोटो भेजते हैं।