सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देशभर में अवैध कालोनियों का तेजी से पनपना शहरी विकास के लिए नुकसानदायक है। ऐसे में इन अवैध बसावटों की रोकथाम के लिए राज्य सरकारों को कदम उठाने होंगे। क्या कदम उठाए जाने चाहिए। इसके लिए अदालत ने न्याय मित्र नियुक्त किया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में तेजी से बढ़ रही अवैध कालोनियों को शहरी विकास के लिए समस्या करार देते हुए कहा कि इन अवैध बसावटों की रोकथाम के लिए राज्य सरकारों को व्यापक कार्ययोजना बनानी होगी। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि देश के इन सभी शहरों में कुकुरमुत्तों की तरह पनप रही अवैध कालोनियों से शहरी विकास में मुश्किलें पेश आती हैं। ऐसे में राज्य सरकारों को इस मसले पर कदम उठाने होंगे।
समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव (Justices L Nageswara Rao) और न्यायमूर्ति बीआर गवई (Justices BR Gavai) की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन (Gopal Sankaranarayanan) को इस मसले पर न्यायमित्र नियुक्त किया। सर्वोच्च न्यायालय ने गोपाल शंकरनारायणन (Gopal Sankaranarayanan) से कहा कि बताएं कि अवैध कालोनियों की रोकथाम के लिए सरकार कौन से कदम उठा सकती है।
सर्वोच्च अदालत की पीठ ने कहा कि देश के तमाम शहरों में कुकुरमुत्तों की तरह अवैध कालोनियों के पनपने की शिकायते आ रही हैं। हमने हैदराबाद और केरल में विकराल बाढ़ देखी जो इन अनियमित और अवैध कालोनियों की बसावट के चलते आई। राज्य सरकारों को अवैध कालोनियों को पनपने से रोकने के संबंध में कार्रवाई करनी होगी। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने निर्देश दिया कि न्याय मित्र के पास समस्त रिकार्ड जमा कराए जाएं। न्याय मित्र गोपाल शंकरनारायणन (Gopal Sankaranarayanan) दो हफ्ते में अपने सुझाव देंगे।
पीठ ने यह भी कहा कि न्याय मित्र को एक प्रश्नावली तैयार करने और इसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रसारित करने की अनुमति दी जाती है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता श्रवण कुमार (Advocate Sravan Kumar) ने अपनी दलील में कहा कि बड़ी संख्या में अनियमित बस्तियों को नियमित किया जाता है। इसकी वजह से अनियमित विकास होता है। इन अनियमित निर्माण के कारण शहरों में बाढ़ आ रही है। ऐसे में शहरों में नियमित रूप से उचित विकास की जरूरत है।