लखनऊ में स्मारक संग्रहालयों के कर्मचारियों का 10 करोड़ रुपये पीएफ हड़पने के मामले में गोमती नगर पुलिस ने की कार्रवाई। व्यापारी बनकर हरियाणा पहुंचे पुलिस कर्मियों ने पे-राइट कंपनी के सहायक निदेशक को दबोचा।
लखनऊ, स्मारक संग्रहालयों के कर्मचारियों का 10 करोड़ रुपये पीएफ हड़पने के मामले में गोमतीनगर पुलिस ने पे-राइट कंपनी के सहायक निदेशक मंगलेश सिंह को गिरफ्तार किया है। आरोपित फोन बंद कर काफी समय से फरार था। एसीपी गोमतीनगर श्वेता श्रीवास्तव के मुताबिक मंगलेश ने ठगी की रकम से पंजाबी फिल्म बनाई थी। फिल्म में उसने 870 लाख रुपये निवेश किए थे और खुद एक्टिंग भी कर रहा था। आरोपित को पकड़ने के लिए विवेचक उपनिरीक्षक धनंजय सिंह टीम के साथ करनाल हरियाणा गए थे।
एसीपी ने बताया कि मंगलेश व उसके साथियों को शक न हो, इसके लिए पुलिसकर्मियों ने वेश बदला था। व्यापारी बनकर पुलिस टीम करनाल पहुंची और प्लाट खरीदने की बात कही। स्थानीय लोगों से मुलाकात के बाद पुलिसकर्मियों ने एक करोड़ रुपये निवेश करने का झांसा दिया। इस बात की जानकारी लोगों ने मंगलेश को दी। इसके बाद पुलिस ने जाल बिछाकर मंगलेश को दबोच लिया।
मंगलेश ने ठगी की रकम से एक सफारी भी खरीदी थी। पुलिस ने आरोपित से गाड़ी बरामद कराने को कहा तो वह गुमराह कर उन्हें पंजाब ले गया और रास्ते में भागने की कोशिश भी की। हालांकि पुलिसकर्मियों ने किसी तरह उसे पकड़ और ट्रांजिट रिमांड पर लेकर लखनऊ पहुंचे। पूछताछ में आरोपित ने बताया कि स्मारक समिति के लेखाधिकारी संजय सिंह ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के दलाल शैलेंद्र उर्फ शैलू से कर्मचारियों के 276 करोड़ रुपये बैंक एफडी में निवेश कराने के लिए कहा गया था।
शैलू ने अपने साथियों के साथ मिलकर बैंक आफ बडौदा रोशनाबाद शाखा के प्रबंधक नागेन्द्र पाल से बात की थी। इसके बाद षड़यन्त्र रचकर स्मारक समिति का 48 करोड़ रुपये बैंक आफ बडौदा रोशनाबाद के सेविंग अकाउंट में जमा किया गया था। बैंक मैनेजर से मिलकर आरोपितों ने स्मारक समिति के 35 करोड़ रुपये पे-राइट कंपनी के खाते में भेजे गए। आरोपित मंगलेश ने साथियों संग मिलकर 10 करोड़ रुपये वापस नहीं किए और हड़प लिया था। इस मामले में अन्य आरोपितों को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।