विपक्षी दलों की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से की गई पुलिसिया कार्रवाई को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उपद्रवियों पर पुलिस की ओर से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। जानें आम लोगों के विचार…
नई दिल्ली, पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई कथित विवादित टिप्पणी को लेकर भाजपा की निलंबित नेता नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की गिरफ्तारी की मांग करते हुए बीते शुक्रवार को देश के अधिकांश हिस्सों में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। यूपी पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि पत्थरबाजों की हरकत के पीछे राष्ट्र विरोधी तत्वों का सुनियोजित षड्यंत्र था। यूपी में उपद्रवियों के मकानों पर बुलडोजर भी गरजने लगा है।
यूपी में उपद्रवियों पर हो रही कठोर कार्रवाई को लेकर सियासत तेज हो गई है। विपक्षी दलों की ओर से योगी आदित्यनाथ की सरकार की ओर से की गई पुलिसिया कार्रवाई को लेकर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। कुछ विपक्षी दलों का कहना है कि राज्य सरकार कथित तौर पर एक खास वर्ग को टारगेट कर रही है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आम लोग उपद्रवियों के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई को लेकर क्या सोचते हैं। इस बारे में आम लोगों की क्या राय है।
सी-वोटर (CVoter) ने इस सवाल पर जनता की राय जानने के लिए समाचार एजेंसी आईएएनएस के साथ एक राष्ट्रव्यापी सर्वे किया। इस सर्वेक्षण में पूछा गया था कि उपद्रवियों पर पुलिसिया कार्रवाई कितनी जायज है। क्या राज्य सरकारों को उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। इस सवाल के जवाब में 72 फीसद लोगों का मानना था कि उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए… यानी 72 फीसद लोग दंगाइयों पर कड़ी कार्रवाई किए जाने के पक्ष में हैं।
सर्वेक्षण में 31 फीसद मुस्लिम और 83 फीसद हिंदुओं ने उपद्रव और हिंसा करने वालों पर कड़ी कार्रवाई के पक्ष में सहमति जताई। उल्लेखनीय है कि प्रयागराज में रविवार को मुख्य आरोपित जावेद मोहम्मद उर्फ जावेद पंप के अवैध बने दोमंजिला मकान को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया। यही नहीं, कानपुर में तीन जून को जुमे की नमाज के बाद हुए उपद्रव की घटना को लेकर शनिवार को कानपुर विकास प्राधिकरण की ओर से बुलडोजर की कार्रवाई अंजाम दी गई थी।