सेबी ने आम लोगों को पीएसीएल की संपत्तियों में लेनदेन से आगाह किया। बाजार नियामक ने कहा उसने समूह से जुड़ी संपत्तियों की बिक्री के लिए किसी को अधिकृत नहीं किया है। बता दें कि पर्ल समूह के रूप में चर्चित रहे पीएसीएल ने जनता से करोड़ों रुपये जुटाए थे।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की एक समिति ने सोमवार को जनता को आगाह किया कि वे पीएसीएल समूह और उसकी सब्सिडियरी कंपनियों की संपत्तियों के संबंध में किसी तरह का लेनदेन नहीं करें। समिति ने कहा है कि इन संपत्तियों की बिक्री के लिए किसी को अधिकृत नहीं किया गया है।
18 साल में लोगों से 60 हजार करोड़ से अधिक की राशि जुटाईपर्ल समूह के रूप में चर्चित रहे पीएसीएल ने कृषि और रियल एस्टेट कारोबार के नाम पर जनता से पैसे जुटाए थे। सेबी के मुताबिक, पीएसीएल ने गैरकानूनी सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआइएस) के जरिये 18 साल में आम लोगों से 60,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाई।
निवेशकों को चरणबद्ध तरीके से रिफंड देने की प्रक्रिया शुरूसुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सेबी ने 2016 में पूर्व प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में समिति बनाई थी, जिसने निवेशकों को चरणबद्ध तरीके से रिफंड देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सेबी की वेबसाइट पर डाली गई सूचना में कहा गया, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि समिति ने किसी भी व्यक्ति या संस्थान को पीएसीएल लिमिटेड की संपत्तियों की बिक्री के लिए अधिकृत नहीं किया है। पीएसीएल की संपत्तियों को अवैध और अनधिकृत तरीके से कब्जे में लेने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।’
सेबी ने 2015 में दिया था संपत्ति कुर्क करने का आदेशसेबी ने दिसंबर 2015 में पीएसीएल और इसके नौ प्रमोटरों तथा डायरेक्टरों की सभी संपत्तियों की कुर्की का आदेश दिया था, क्योंकि कंपनी निवेशकों का पैसा नहीं लौटा पाई थी।