वाराणसी में सपा नेता अखिलेश यादव ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने चाचा शिवपाल यादव को मनाने नहीं जा रहे हैं। इसकी जगह वह चाहें तो अपनी पार्टी को दोबारा बना लें।
वाराणसी, पार्टी के भीतर और गठबंधन दलों से नाराजगी और विरोध झेल रहे समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव गुरुवार को जौनपुर के निजी दौरे पर जाने से पूर्व बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पत्रकारों से मुखातिब थे। इस दौरान उन्होंने पार्टी में उठ रहे बगावत के सुरों को साधने की जगह उनसे किनारा कर लेने का साफ इशारा किया। इस दौरान उन्होंने सभी सवालों का जवाब दिया और पार्टी के स्तर पर आलोचना करने वालों को उन्होंने स्वतंत्र करते हुए अपनी राह चुनने की आजादी देने की बात कही।
पूर्व में लंबे समय से चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अखिलेश यादव के बीच चल रहे वाद विवाद के बीच बाकायदा पार्टी के स्तर पर पत्र जारी कर स्वतंत्र करते हुए अपनी राह चुनने का विकल्प देने की बात सामने आने के बाद से ही पार्टी ही नहीं परिवार में उपजा कलह भी सामने आ गया। इसके बाद शिवपाल यादव भाजपा नेताओं के साथ खूब नजर आए और तमाम मौकों पर भतीजे अखिलेश यादव के विरोध में बयानबाजी कर सब कुछ ठीक नहीं होने का संकेत दिया था। इसके साथ ही अखिलेश यादव भी पार्टी में चल रहे विरोध और विरोधी बयानबाजी के बीच आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव से दूर रहे और प्रचार तक करने नहीं पहुंचे। नतीजा रहा कि दस विधायकों वाले आजमगढ़ में सांसदी सपा के हाथ से फिसलकर भाजपा के पाले में चली गई।
माना जा रहा है कि पार्टी में बगावत होने और अंदरूनी तौर पर मुखालफत की वजह से पार्टी की हो रही फजीहत की वजह से अखिलेश यादव ने अब नाराज चल रहे चाचा शिवपाल को मनाने का इरादा भी मानो त्याग रखा हो। कुछ इसी तरह से अखिलेश ने वाराणसी में पार्टी और परिवार के स्तर पर चाचा शिवपाल को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी। उन्होंने कहा कि – ‘यदि मै चाचा शिवपाल का सम्मान नहीं कर पा रहा हूं तो अब उन्हें स्वतंत्र कर दिया है और वो अपनी पार्टी दोबारा बनाएंं’। इस संदेश में छिपा निहितार्थ साफ है कि अखिलेश अब चाचा शिवपाल को मनाने नहीं जाने वाले हैं।