रूस यूक्रेन जंग के दौरान भारत ने तटस्थता की नीति का अनुसरण किया है। भारत की इस नीति का अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने भारत पर रूस की ओर झुकाव का आरोप लगाया। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत और यूक्रेन के रिश्ते कैसे रहे हैं।
नई दिल्ली, रूस यूक्रेन जंग के दौरान भारत ने तटस्थता की नीति का अनुसरण किया है। भारत की इस नीति का अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने भारत पर रूस की ओर झुकाव का आरोप लगाया। अमेरिका और पश्चिमी देशों ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ मतदान में हिस्सा लिया। अमेरिका ने रूस को आमक्रणकारी माना। अमेरिका और पश्चिमी देशों का दबाव रहा कि भारत भी अमेरिका व पश्चिम देशों के साथ आए। हालांकि, भारत ने इस दबाव को दरकिनार करते हुए रूस के साथ अपने सामरिक और आर्थिक रिश्तों को मजबूत किया। ऐसे में आइए जानते हैं कि भारत और यूक्रेन के साथ कैसे रिश्ते रहे हैं। इन रिश्तों में पाकिस्तान का फैक्टर क्या है।
1- सोवियत संघ यूएसएसआर के विघटन के बाद भारत पहला मुल्क था, जिसने यूएसएसआर से अलग हुए यूक्रेन को मान्यता दी थी। भारत ने यूक्रेन की स्वतंत्रता का बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था। 1991 में भारत ने सोवियत यूनियन से अलग हुए यूक्रेन को एक संप्रभु देश का दर्जा दिया। 1992 में भारत और यूक्रेन के बीच राजनयिक संबंधों की शुरुआत हुई। 1993 में यूक्रेन सरकार ने नई दिल्ली में उच्चायोग खोला। यह एशिया में उसका पहला हाईकमीशन था। दोनों देशों के बीच 17 द्विपक्षीय संबंध भी हस्ताक्षर हुए और यूक्रेन, भारत का ट्रेड पार्टनर बन गया।
2- हालांकि, बाद में दोनों देशों के रिश्तों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया। वर्ष 1998 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भारत ने परमाणु परीक्षण किया तो यूक्रेन के साथ रिश्ते तल्ख हो गए। उस समय से दोनों देश अपने संबंधों को सामान्य बनाने में जुटे हैं। परमाणु परीक्षण के दौरन भारत को उम्मीद थी कि वह उसका साथ देगा। 1998 में आपरेशन शक्ति के तहत भारत ने परमाणु परीक्षण किए थे। ऐसे गाढ़े वक्त पर जब दुनिया के कई विकसित मुल्कों ने भारत पर प्रतिबंध लगाए थे, उस वक्त यूक्रेन भारत के खिलाफ खड़ा था। यूक्रेन ने दुनिया के 25 देशों के साथ मिलकर भारत के इस कदम का विरोध किया। हालांकि, भारत सरकार अपने परीक्षण के पक्ष में कहा था कि यह परीक्षण उसने अपनी सुरक्षा के लिए उठाया है। यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्रसंघ (UN) के उस प्रस्ताव का समर्थन भी किया, जिसमें भारत को और ज्यादा परमाणु परीक्षण करने से रोकने की बात कही गई थी।
3- यूक्रेन देश के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करता रहा है। यूक्रेन और पाकिस्तान के बीच रक्षा सौदे का लंबा इतिहास रहा है। यूक्रेन सबसे ज्यादा हथियार पाकिस्तान को आपूर्तिकर्ता है। पाकिस्तान और यूक्रेन के बीच हथियारों के लिए 1.6 अरब डालर का रक्षा सौदा हुआ है। पाकिस्तानी सेना में शामिल टी-80 टैंक यूक्रेन में ही बना है। वर्ष 2017 में दोनों देशों ने वह द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किया था इसमे टी-80 टैंक के अपग्रेडेड वर्जन को खरीदे जाने का जिक्र था।
4- आतंकवाद के मामले में यूक्रेन कई बार पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा रहा है। भारत कई बार खतरनाक हथियारों की आपूर्ति पर भी आपत्ति कर चुका है, लेकिन यूक्रेन ने भारत की मांग का हर बार अनसूना किया है। यूक्रेन ने पाकिस्तान को 320 टी-80 टैंकों का निर्यात बंद नहीं किया। कश्मीर में पाक समर्थित आतंकवाद का मामला हो या फिर पाक में आतंकियों को मिलने वाली मदद यूक्रेन ने कभी भी भारत का साथ नहीं दिया। ऐसे में रूस यूक्रेन जंग के बीच ही संयुक्त राष्ट्र में जब रूस के खिलाफ वोटिंग हुई तो भारतीय अधिकारियों ने नदारद रहे।