आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच भीषण संघर्ष, आधी रात के हमले में 49 आर्मीनियाई सैनिकों की मौत

आर्मीनिया के पीएम निकोल पशिनियन ने रात में ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन किया। अजरबैजान के साथ शत्रुता पर चर्चा करने के लिए फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ फोन भी किया। दोनों देशों के बीच मध्‍यस्‍थता कर रहे रूस पर सबकी नजरें हैं।

 

येरेवान, एजेंसियां। अजरबैजान की सेना ने बड़े पैमाने पर आर्मेनिया के क्षेत्र में गोलाबारी की, जिसमें कम से कम 49 अर्मेनियाई सैनिक मारे गए। दोनों देशों के बीच बड़े पैमाने पर शत्रुता की आशंकाओं को हवा दी। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। गोलीबारी के बाद आर्मीनिया और रूस दोनों ही सीमा पर हालात को स्थिर करने के लिए सहमत हो गए हैं आर्मीनिया ने आरोप लगाया है कि तुर्की के घातक ड्रोन से लैस अजरबैजान के सैनिक उनके क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहे हैं।

नागोर्नो-कराबाख को लेकर चल रहा है दशकों पुराना संघर्ष 

अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच नागोर्नो-कराबाख को लेकर दशकों पुराना संघर्ष रहा है, जो पहले अजरबैजान का हिस्सा रहा है, लेकिन 1994 में एक अलगाववादी युद्ध समाप्त होने के बाद से आर्मेनिया द्वारा समर्थित जातीय अर्मेनियाई बलों के नियंत्रण में रहा है। अजरबैजान ने 2020 में छह सप्ताह के युद्ध में नागोर्नो-कराबाख के बड़े क्षेत्र को फिर से हासिल कर लिया, जिसमें 6,600 से अधिक लोग मारे गए थे। 2020 के युद्ध में भी तुर्की के ये ड्रोन विमान आर्मीनिया की हार के कारण बने थे। उसने कहा कि आर्मीनियाई सेना ने अजरबैजान के हमले का उचित जवाब दिया है। 4400 वर्ग किमी के दायरे में फैले इस क्षेत्र में अर्मेनियाई ईसाई और मुस्लिम तुर्क रहते हैं, लेकिन इस पर अजरबैजान का नियंत्रण है। सोवियत संघ के समय से ही यह यहां का माहौल अशांत है।

रूस ने शांति समझौते के तहत दो हजार सैनिक तैनात कियारूस की मध्यस्थता में हुए शांति समझौते के बाद यह युद्ध समाप्त हुआ था। रूस ने क्षेत्र में शांति स्थापना के उद्देश्य से दो हजार सैनिकों को तैनात कर रखा था। उसने युद्ध बढ़ने की आशंका के बीच दोनों देशों से शांति समझौते का अनुपालन करने की अपील की है। रूस ने कहा कि वह युद्धविराम को खत्म नहीं होने देगा।

अजरबैजान की सेना ने आधी रात के बाद बोला हमला

अर्मेनियाई रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अजरबैजान की सेना ने आधी रात के बाद अर्मेनियाई क्षेत्र के कई हिस्सों में तोपखाने और ड्रोन के जरिए बड़े पैमाने पर हमला बोल दिया। दूसरी तरफ, अजरबैजान का दावा है कि आर्मेनियाई सेना की तरफ से बड़े पैमाने पर की गई उकसावे की कार्रवाई पर उसकी सेना ने प्रतिक्रया दी है। आरोप है कि आर्मेनिया की सेना ने माइंस बिछाकर अजरबैजान की सैन्य चौकियों पर लगातार हमले किए।

 

हमले की पुष्टि अर्मेनिया के प्रधानमंत्री ने कीमंगलवार तड़के संसद में अर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन ने कहा कि अजरबैजान की फायरिंग में कम से कम 49 अर्मेनियाई सैनिक मारे गए हैं। आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान ने संसद में कहा कि अजरबैजान की यह कार्रवाई हाल में यूरोपीय संघ की पहल पर ब्रसेल्स में अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव के साथ उनकी वार्ता के बाद हुई है। इसमें अजरबैजान का रवैया अडि़यल था।

 

अर्मेनियाई के प्रधानमंत्री ने पुतिन और मैक्रों से बात की

पीएम निकोल पशिनियन ने रात में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन किया। अजरबैजान के साथ शत्रुता पर चर्चा करने के लिए फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ फोन भी किया। दोनों देशों के बीच मध्‍यस्‍थता कर रहे रूस पर सबकी नजरें हैं जो आर्मीनिया का घनिष्‍ठ सहयोगी है।

रूस ने दोनों देशों से संयम बरतने के लिए कहाअर्मेनियाई सरकार ने कहा कि वह मित्रता समझौते के तहत आधारिक रूप से रूस से साथ देने तथा संयुक्त राष्ट्र व मास्को के नेतृत्व वाले कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रिटी आर्गनाइजेशन से मदद की अपील करेगा। गोलीबारी को लेकर फिलहाल क्रेमलिन की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई। रूस के विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों से आगे बढ़ने से बचने और संयम दिखाने का आग्रह किया। रूस ने आशा व्यक्त की कि अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच मंगलवार सुबह मास्को द्वारा संघर्ष विराम के लिए चर्चा की जाएगी।

इस मामले में अमेरिका ने कहा कि आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच विवाद का सैन्‍य समाधान नहीं हो सकता है। उधर, अजरबैजान के सहयोगी तुर्की ने आर्मीनिया से कहा कि वह क्षेत्र में भड़काऊ कार्रवाई बंद करे। शांति स्‍थापित करने के लिए अजरबैजान के साथ सहयोग करे।

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