यूक्रेन से युद्ध में क्‍यों बढ़ती जा रही है जान गंवाने वाले रूसी सैनिकों की संख्‍या, जानें- क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट

रूस के यूक्रेन से जारी युद्ध में करीब 6 हजार सैनिक मारे जा चुके हैं। ये आंकड़ा रूस ने जारी किया है। हालांकि अमेरिका के रक्षा विभाग का कहना है कि इस युद्ध में उसके 70-80 हजार जवान मारे गए हैं।

 

नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। रूस और यूक्रेन की जंग को 7 माह पूरे हो गए हैं। इस दौरान दोनों को ही जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा है। शुरुआत में जहां रूस यूक्रेन पर भारी दिखाई दे रहा था वहीं अब यूक्रेन की जंग में वापसी दिखाई होती दे रही है। इस बीच अंतरराष्‍ट्रीय मीडिया में रूस की सेना का विश्‍लेषण भी धड़ल्‍ले से हो रहा है। इस युद्ध के इतना लंबा चलने की आशंका पहले नहीं जताई गई थी। लेकिन अब इसके खत्‍म होने के बारे में कोई कुछ नहीं जानता है। इस बीच रूस ने कहा है कि उसके अब तक 6 हजार जवान इस जंग में मारे गए हैं। वहीं अमेरिका के रक्षा विभाग का कहना है कि रूस के इस जंग में 70-80 हजार जवान मारे जा चुके हैं। इस बीच रूस के रक्षा मंत्री Sergei Shoigu ने उन खबरों का खंडन किया है जिनमें रूस के अधिक जवानों के हताहत होने की बात कही गई है। उनके मुताबिक करीब 90 फीसद घायल जवान ठीक होने के बाद वापस मोर्चे पर जा चुके हैं।

एक बड़ा सवाल यूक्रेन युद्ध में मारे गए रूसी जवानों की संख्‍या भले ही कितनी ही रही हो लेकिन एक बात साफ है कि उसके जवानों का इतनी संख्‍या में मारा जाना एक सवाल जरूर खड़ा कर रहा है। जानकारों की निगाह में इसकी सबसे बड़ी वजह रूस का इस जंग को लेकर उतावलापन है। रूस ने अपने बयान में कहा है कि उसके पास इस जंग के लिए 3 लाख की रिजर्व फोर्स मौजूद है। दूसरी तरफ यदि जानकारों की मानें तो इस जंग में रूस बड़ी संख्‍या में उन सैनिकों को युद्ध के मैदान में भेज रहा है जिन्‍हें जंग का कोई अनुभव ही नहीं है। आपको बता दें कि युद्ध के पांच माह के दौरान जहां रूस ने अपने दो हजार सैनिकों की मौत की बात कही थी वहीं अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए इस संख्‍या को 15 हजार तक बताया था।

अधूरी ट्रेनिंग और स्किल की कमी अतंरराष्‍ट्रीय मीडिया की मानें तो अधूरी ट्रेनिंग के बाद जिन जवानों को मोर्चे पर भेजा जा रहा है उनकी वजह से मारे गए रूसी सैनिकों की संख्‍या में लगातार इजाफा हो रहा है। इन जवानों को जंग का कोई अनुभव नहीं है। इतना ही नहीं अब तो रूस जबरन वोलेंटियर्स को यूक्रेन के साथ लड़ने के लिए भेजने पर भी आमादा हो रहा है। राष्‍ट्रपति पुतिन ने हाल ही में एक आदेश पारित किया है जिसके मुताबिक लड़ाई में जाने से मना करने वाले वोलेंटियर्स को सजा का प्रावधान किया गया है। जिन लोगों को युद्ध के मैदान में भेजा जा रहा है उन्‍हें बड़े हथियारों को चलाने के बारे में या तो पता नहीं है या फिर शुरुआती जानकारी ही उनके पास है। ऐसे में रूस को अपने जवानों को युद्ध के मैदान में खाना पड़ रहा है।

 

दूसरा कोई विकल्‍प नहीं मोर्चे पर जाने वाले जवानों को रूस की तरफ से करीब 3500 डालर की अदायगी की जा रही है। जंग पर जाने वाले जवानों के पास कोई विकल्‍प न होने की वजह से भी वो मजबूर हैं। मोर्चे पर भेजे जाने वाले जवानों में से कई मशीन गन को आपरेट करना भी सही से नहीं जानते हैं। कुछ सप्‍ताह की सर्वाइवल ट्रेनिंग के बाद इनको मोर्चे पर भेजने की कवायद अब रूस पर भारी पड़ रही है। रूस के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर जवानों को चार सप्‍ताह की आर्म्‍स और सरवाइवल ट्रेनिंग को जरूरी बताया गया है। मोर्चे पर जाने वाले सैनिकों के साथ एक एग्रीमेंट साइन किया जाता है। रूस के ह्यूमन राइट्स ग्रुप के डायरेक्‍टर सर्गी क्रिवेंको का कहना है कि युद्ध के मैदान से ये पूरी तरह से अंजान होते हैं। इसका नतीजा इनकी मौत होती है।

जानकारों की राय लंदन बेस्‍ड रायल यूनाइटेड सर्विस इंस्टिट्यूट थिंक टैंक के मिलिट्री एनालिस्‍ट सेम्‍युल क्रेनी के मुताबिक जवानों को युद्ध के मैदान में आपसी सामंजस्‍य कैसे रखें ये आना बेहद जरूरी है। इसके बिना खुद को बचापाना काफी मुश्किल होता है। अमेरिकी थिक्र टेंक RAND के सीनियर एनालिस्‍ट डारा मेसिकोट ने बताया कि कई बार इन जवानों को अपने कमांडर के बारे में भी पूरी जानकारी नहीं होती है। टेक्निकली भी ये जवान साउंड नहीं होते हैं। इसलिए यूक्रेन से युद्ध में रूस को अधिक जवानों को खोने का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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