लखनऊ में सफाई के लिए 140 करोड़ रुपये का भारी-भरकम बजट है। लेकिन सफाई के नाम पर अव्यवस्था चरम पर है। राजधानी में अभी भी घरों से नियमित कूड़ा नहीं उठ रहा है। नगर निगम के कुप्रबंधन से लोग परेशान हैं।
लखनऊ, आवाज़ ~ ए ~ लखनऊ । कूड़ा के कुप्रबंधन और डम्पिंग ग्राउंड पर कूड़े का पहाड़ खड़ा होने का झटका भी नगर निगम को लगा है। गार्बेज फ्री बनाने का दावा भी विफल रहा। शहरवासी आज भी समय पर कूड़े का उठान न होने से परेशान हैं। नगर निगम में सफाई का बजट तो बढ़ता गया, लेकिन हकीकत में उसमे कमीशनखोरी का घुन इस तरह से लगा कि शहर गंदगी की चपेट में आ गया। यही कारण है कि नंबर वन से लेकर तीन के बीच बनने का दावा स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 की रिपोर्ट से हवा-हवाई साबित हो गया।
स्वच्छ सर्वेक्षण-2022 कुल 7500 अंकों का थागार्बेज फ्री सिटी 1250अंक था, नंबर मिले 600खुले में शौच मुक्त शहर 1000 में से 600 अंक मिले सिटीजन की नजर में 2250 में से 1821.67 सर्विस लेवल प्रोग्रेस ( चार सौ से फोन पर बात की गई और सफाई को लेकर रिपोर्ट तैयार करना ) 3000 में से 2188.02 अंक लखनऊ नगर निगम कब कहां रहा वर्ष 2017 में 269वीं रैंक मिली थी वर्ष 2018 में 115वीं रैंकवर्ष 2019 में 121वीं रैंकवर्ष 2020 में 12वीं रैंक2021 में 12 वीं रैंक 2022 17वीं रैंक सड़क व नालियों की सफाई भी ठीक नहीं ठेकेदारी प्रथा से ही 7702 कर्मचारी तैनात है, जबकि 3000 हजार की संख्या नियमित और विभागीय संविदा सफाई कर्मचारियों है, लेकिन हकीकत में सफाई के हाल किसी से छिपे नहीं है।
ठेकेदारी प्रथा के 140 करोड़ के बजट से सफाई कम, कमीशन अधिक बंट जाता है। न समय पर कूड़ा उठ रहा है और निस्तारण मोहान रोड शिवरी प्लांट में अब बारह लाख मीट्रिक टन कूड़ा एकत्र हो गया है। दूर से कूड़े का पहाड़ दिखता है। यह हाल तब है, जब उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय भी एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्य नियंत्रण बोर्ड कूड़े का वैज्ञानिक तरह से निस्तारण न होने पर नाराजगी जता चुके हैं। उधर, हर दिन निकलने वाला दो हजार मीट्रिक टन कूड़े का भी प्रबंधन नहीं हो पा रहा है। पिछले दस दिन को ही देखा जाए तो एक दिन बाद या फिर शाम तक ही कूड़ा उठ पा रहा है।
कुप्रबंधन पर खबरें छापी तो लखनऊ के प्रभारी मंत्री जितिन प्रसाद ने कमिश्नर को जांच के आदेश दिए हैं। कूड़ा प्रबंधन का हाल 2010 में मेसर्स ज्योति इन्वायरों प्राइवेट लिमिटेड को कूड़ा प्रबंधन का काम दिया गया था। बारह सौ मीट्रिक टन क्षमता कम्पोस्ट एंड आरडीएफ प्लांट मोहान रोड के शिवरी में लगाया गया था। संतोषजनक काम न होने पर बाद में मेसर्स ईको ग्रीन को काम दिया गया था, जो भी विफल साबित हो गई।