खेरसान में जहां यूक्रेनी सेना अपने इलाके को वापस लेने का प्रयास कर रही है वहीं रूसी सेना इस इलाके को कतई खाली करने के मूड में नहीं है।रूसी सेना ने यूक्रेन के एनर्जी सिस्टम को ध्वस्त करके जेलेंस्की पर नया दबा बना रहे हैं।
नई दिल्ली, यूक्रेन जंग में यूक्रेनी इलाका खेरसान दोनों सेनाओं के लिए प्रतिष्ठा का विषय बनता जा रहा है। खेरसान ने इस युद्ध को और जटिल बना दिया है। खेरसान में जहां यूक्रेनी सेना अपने इलाके को वापस लेने का प्रयास कर रही है, वहीं रूसी सेना इस इलाके को कतई खाली करने के मूड में नहीं है। उधर, रूसी सेना ने यूक्रेन के एनर्जी सिस्टम को ध्वस्त करके यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की पर नया दबाव बनाया है। आइए जानते हैं कि इस युद्ध में रूसी सेना की क्या योजना है। क्या जेलेंस्की पर दबाव बन रहा है।
खेरसान महासंग्राम का गढ़ क्यों बना
प्रो पंत का कहना है कि खेरसान में रूसी सेना यूक्रेन के खिलाफ कोई आक्रामक रणनीति अपना सकती है। यूक्रेन जंग में दोनों सेना के लिए खेरसान महासंग्राम का गढ़ बना हुआ है। उन्होंने कहा कि रूसी सेना ने जंग के प्रारंभ में ही इस पर कब्जा कर लिया था। इस पर दोबारा कब्जा करना यूक्रेनी सेना के लिए नाक का विषय बना हुआ है। यूक्रेनी सेना का इस क्षेत्र में बड़ा जमावड़ा है। उन्होंने कहा कि पुतिन कभी नहीं चाहेंगे कि यह क्षेत्र दोबारा यूक्रेन के कब्जे में जाए। यूक्रेन का दावा है कि उसकी सेना ने रूस को 30 किलोमीटर पीछे धकेल दिया है। खुद रूसी सेना के जनरल सुरोविकिन ने इस इलाके को एक मुश्किल क्षेत्र बताया है।
खेरसान दोनों सेना के लिए बना प्रतिष्ठा का विषय
उन्होंने कहा कि रूस के लिए खेरसान रणनीतिक रूप से बेहद उपयोगी है। क्रीमिया की तरह रूस ने इस क्षेत्र को यूक्रेन से छीनकर जनमत संग्रह के जरिए रूस में शामिल कर लिया है। अब इस क्षेत्र की सुरक्षा करना रूसी सेना की जिम्मेदारी है। इसलिए रूसी सेना इस इलाके को कभी नहीं जाने देगी। इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े। यही सबसे बड़ा पेंच है। यह क्षेत्र दोनों देशों की सेना के लिए अहम हो चुका है। इसलिए रूस और यूक्रेन दोनों यह दावा कर रहे हैं कि नोवा काखोव्का बांध पर हमला हो सकता है।
जेलेंस्की पर दबाव बना सकती है रूसी सेना
जेलेंस्की का दावा है कि रूसी सेना इस पर हमला करके खेल बिगाड़ सकती है। उधर, रूसी सेना का कहना है कि यूक्रेनी सेना अमेरिका से मिले मिसाइल से इस बांध पर हमला कर सकती है। प्रो पंत ने कहा कि इस युद्ध में रूसी सेना को अब तक कोई ऐसी सफलता हासिल नहीं हाे सकी है। इसलिए अब रूसी सेना का लक्ष्य जेलेंस्की पर दबाव बनाना है। यही कारण है कि रूसी सेना नागरिक सुविधाओं को भी निशाना बना रही है, जिससे यूक्रेनी राष्ट्रपति पर दबाव बनाया जा सके।
रूसी सेना ने एनर्जी सिस्टम पर किया प्रहार
यूक्रेन जंग के दौरान रूसी सेना की मिसाइलों और ड्रोन हमलों से यूक्रेन के 30 फीसद पावर स्टेशन नष्ट हो गए हैं। आलम यह है कि यूक्रेन की राजधानी कीव में कई इलाकों में लगातार ब्लैकआउट की स्थिति बनी हुई है। देश के कई शहरों में बिजली आपूर्ति बाधित है। जेलेंस्की ने कहा कि पुतिन हमारे एनर्जी सिस्टम को ही युद्ध का मैदान बना रहे हैं। इसके परिणाम बेहद घातक हो सकते हैं।
जेलेंस्की की क्या है बड़ी चिंता
यूक्रेनी राष्ट्रपति ने अमरिका व पश्चिमी देशों से आग्रह किया है कि वह रूस पर दबाव बनाए कि वह नोवा काखोव्का बांध पर हमला नहीं करे। उन्होंने कहा कि अगर इस बांध की दीवार उड़ गई तो यूक्रेन के दक्षिण भाग में भीषण तबाही होगी। इससे बड़ी संख्या में लोगों की जान जा सकती है। यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा कि रूसी सेना ने बांध की दीवारों पर विस्फोटक लगा दिए हैं। खास बात यह है कि इस बांध से ही यूक्रेन के दक्षिण हिस्से में पानी और बिजली की आपूर्ति होती है। अगर बांध को क्षति होती है तो इससे दक्षिण यूक्रेन में पानी की बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। इसी बांध से क्रीमिया को पानी मिलता है। राष्ट्रपति ने कहा कि बांध टूटने से यूक्रेन में बड़े पैमाने पर तबाही आ सकती है।