रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से मास्को पर लगे प्रतिबंधों का साया अब वहां के विमानन उद्योग पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है। मेंटेनेंस और स्पेयर पार्ट्स की कमी से ये उद्योग धड़ाम होने की कगार पर पहुंच गया है।
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। यूक्रेन से युद्ध के चलते रूस के ऊपर कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं। यदि कहा जाए कि इस युद्ध की वजह से वो आधी दुनिया से कट चुका है तो गलत नहीं होगा। इस युद्ध के चलते लगे प्रतिबंधों का असर रूसी अर्थव्यवस्था पर भी साफतौर पर दिखाई दे रहा है। वहीं अब इससे रूस की एयरलाइंस भी अछूती नहीं रही है। प्रतिबंधों के बाद भी रूस की एयरलाइंस फिलहाल विदेशी रूट पर चल रही है। पश्चिमी देशों ने रूसी एयरलाइंस के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर रखा है। ऐसे में ये कब तक उड़ान भरती रहेंगी, ये कहना काफी मुश्किल है। ऐसा होने की कुछ खास वजह हैं।
स्पेयर पार्ट्स की किल्लत दरअसल यूक्रेन से युद्ध के बाद लगे प्रतिबंधों की वजह से रूस की एयरलाइंस को मेंटेनेंस के लिए जरूरी चीजों की सप्लाई पूरी तरह से बंद कर दी गई है। वहीं विदेशी एयरलाइंस कंपनियों ने भी रूस की एयरलाइंस से अपने कारोबारी संबंध तोड़ लिए हैं। रूसी एयरलाइंस के पास जितने विमान हैं वो अधिक बोईंग और एयरबस द्वारा निर्मित हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में उन्हें विमान की मेंटेनेंस के लिए उसके स्पेयर पार्ट्स नहीं मिलेंगे। जानकारों का कहना है कि मेंटेनेंस के अभाव में रूस की एयरलाइंस अधिक से अधिक दो या तीन सप्ताह में पूरी तरह से जमींदोज हो जाएगी।
दो माह में हो जाएगी धड़ाम यूएस एयरोडायनामिक एडवाइजरी के एविएशन एक्सपर्ट रिकार्ड एबोलाफिया का कहना है कि प्रतिबंधों के साए में ये अधिक नहीं चल सकेंगी। रूसी एयरलाइंस के पास करीब 800 विमान हैं जो पश्चिमी देशों द्वारा निर्मित हैं। रूस पर लगे प्रतिबंधों का असर रूस की एयरोफ्लोत एयरलाइंस पर साफ देखा जा सकता है। 2019 में इस एयरलाइंस के पास सवा करोड़ पैसेंजर हुआ करते थे, लेकिन अब प्रतिबंधों की वजह से ये पूरी तरह से धड़ाम हो चुकी है। रूस की एयरलाइंस अब घरेलू उड़ानों पर नजरें गड़ाए बैठी हैं।
विमानन उद्योग पर असर रूस के एविएशन एक्सपर्ट भी इस बात को मान रहे हैं कि प्रतिबंधों का असर देश के विमानन क्षेत्र पर पड़ा है। बता दें कि रूसी एयरलाइंस के पास अधिकतर विमान लीज पर हैं। ऐसे करीब 500 विमानों की कीमत 10 अरब डालर है। प्रतिबंधों के बाद एयरलाइंस कंपनियों ने विमानों को वापस करने की भी अपील की है। जानकार मानते हैं कि रूस के पास अत्याधुनिक कमर्शियल विमान बनाने लायक क्षमता नहीं है। वहीं उसके पास जो आधुनिक विमान हैं उनमें लगातार साफ्टवेयर अपडेट और स्टेट आफ द आर्ट semiconductor की जरूरत पड़ती है। प्रतिबंधों के साए ने इसको मुश्किल बना दिया है।