किरीट पारिख पैनल ने गैस की कीमतों के लिए एक महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा है कि सरकार को गैस की कीमतों में राहत देने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती करनी चाहिए। अहम सवाल ये है कि क्या इसके बाद गैस सस्ती होगी।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। CNG Price: किरीट पारिख समिति ने सिफारिश की है कि केंद्र सरकार को सीएनजी पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में तब तक नरमी बरतनी चाहिए, जब तक कि प्राकृतिक गैस को ‘एक देश एक कर’ वाली जीएसटी व्यवस्था में शामिल नहीं कर लिया जाता। प्राकृतिक गैस वर्तमान में जीएसटी के दायरे से बाहर है।
केंद्र सरकार प्राकृतिक गैस को गैस के रूप में फुटकर बेचने से पहले उस पर उत्पाद पर शुल्क नहीं लगाती है। यह कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) पर 14 प्रतिशत कर लगाती है। इसके अलावा राज्य भी गैस पर 24.5 फीसदी तक वैट लगाते हैं।
केंद्रीय उत्पाद शुल्क कम करने पर हो विचारआपको बता दें कि 1 जुलाई, 2017 को वस्तुओं और सेवाओं के लिए जीएसटी लागू करते समय कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल और एटीएफ के साथ प्राकृतिक गैस को इस व्यवस्था से बाहर रखा गया था। गुजरात जैसे गैस उत्पादक राज्य को वैट और अन्य करों को जीएसटी में तब्दील होने के बाद राजस्व के नुकसान की आशंका थी। समिति की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि जीएसटी लागू होने तक सरकार उपभोक्ताओं पर प्राकृतिक गैस लागत के बोझ को कम करने के लिए सीएनजी पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क दर को कम करने पर विचार करना चाहिए।
प्राकृतिक गैस के अधिक उपयोग से ईंधन की लागत में कटौती के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जिससे राष्ट्र को अपनी सीओपी-26 प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी। जीएसटी व्यवस्था के तहत प्राकृतिक गैस को शामिल न करने से प्राकृतिक गैस की कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। वर्तमान में तेल और गैस उद्योग मशीनरी और सेवाओं की खरीद पर जीएसटी का भुगतान करता है लेकिन जीएसटी के तहत अंतिम उत्पाद शामिल नहीं होने के कारण इनको इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलता।