शहर में झुग्गी झोपड़ियों का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में रामनगर में एलडीए की टीम बिना कागज अवैध बस्ती हटाने पहुंच गई जहां जमकर तमाशा हुआ। इस दौरान पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा भी मौके पर मौजूद रहे।
लखनऊ : क्या यह संभव है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण का प्रवर्तन दस्ता, दस थानों की पुलिस फोर्स, आरएएफ और पीएसी के करीब दो सौ जवान बिना दस्तावेजों के अवैध बस्ती हटाने पहुंच जाएं? आपका जवाब होगा… नहीं, मगर ऐसा हुआ। मंगलवार को ऐशबाग के रामनगर में लविप्रा (लखनऊ विकास प्राधिकरण) की जमीन पर बसी अवैध बस्ती ढहाने पहुंचा लविप्रा का दस्ता अचानक वापस हो गया।
आखिर क्या है दस्ते के बिना कार्रवाई किए लौटने की कहानी?लविप्रा दस्ते के रामनगर पहुंचते ही अवैध बस्ती बसाने वाला प्रकाश यादव भीड़ लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा के घर पहुंच जाता है। प्रकाश डा. दिनेश शर्मा से कहता है कि लविप्रा उसकी बात नहीं सुन रहा। दिनेश शर्मा तत्काल लविप्रा उपाध्यक्ष डा. इंद्रमणि त्रिपाठी को फोन कर बस्ती हटाने से पहले कागजों की जांच करने को कहते हैं। प्रकाश एलडीए पहुंचकर स्टे आर्डर दिखाता है और लविप्रा उपाध्यक्ष प्रवर्तन दस्ते को लौटने को कह देते हैं और अवैध बस्ती फिर ढहने से बच जाती है। दस्ते के लौटते ही प्रकाश व दिनेश शर्मा की जय-जयकार होती है।
अगर स्टे आर्डर था तो एलडीए ने अपनी फजीहत क्यों कराई?लविप्रा ने वर्ष 2004 में रामनगर योजना में 80 प्लाट निकाले थे, जिनमें 60 आवंटित हो गए थे। आवंटित प्लाटों में व्यापारी नेता हरिश्चंद्र अग्रवाल की बेटी और रिश्तेदार के दो प्लाट हैं। इसके अलावा गोपाल अग्रवाल, अतुल अग्रवाल, कई डाक्टरों व अन्य लोग भी हैं। जब यह लोग कब्जा लेने पहुंचे तो पता चला कि यहां पर प्रकाश यादव ने अवैध झुग्गियां बसा दी हैं। आठ से 10 हजार रुपये में उसने लोगों को यहां झुग्गियां दी थीं।
इस मामले पर पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि, रामनगर बस्ती के लोग मेरे पास आए थे और कह रहे थे कि लविप्रा की टीम उनकी सुने बिना ही बस्ती खाली कराने आई है। उनका कहना था कि हाई कोर्ट का आदेश है, जिस पर किसी तरह की कार्रवाई करने पर रोक है। मैंने लविप्रा के उपाध्यक्ष से फोन पर कहा कि बस्ती वालों की बातें सुनकर उनके अभिलेख की जांच कर लें।
वहीं लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि, कार्रवाई रोकने के बाद प्रकाश यादव मंगलवार को कार्यालय आया था। उसने लविप्रा के ध्वस्तीकरण आदेश पर स्टे का आर्डर दिखाया था। जांच में स्टे का आदेश सही मिला। कोर्ट ने लविप्रा के नजूल अधिकारी को भी पार्टी बनाने को कहा है।