ज्ञानवापी में शृंगार गौरी की नियमित पूजा की अनुमति के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका पर सुनवाई

Prayagraj कोर्ट की बहस में हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने कहा- ज्ञानवापी एक मोहल्ला है। ज्ञानवापी नाम की कोई मस्जिद नहीं है। आलमगीर मस्जिद ज्ञानवापी से तीन किलोमीटर दूर बताई जाती है। विवादित मस्जिद को आलमगीर मस्जिद का नाम दिया गया है।

 

प्रयागराज,  इलाहाबाद हाई कोर्ट में ज्ञानवापी स्थित शृंगार गौरी की नियमित पूजा अनुमति संबंधी मांग के खिलाफ याचिका पर सुनवाई जारी है। गुरुवार को मंदिर पक्ष की ओर से कहा गया कि मंदिर की जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित करना गैरकानूनी है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की कोर्ट में सुनवाई पूरी नहीं हो सकी, और यह शुक्रवार को भी जारी रहेगी।

ज्ञानवापी नाम की कोई मस्जिद नहीं, यह एक मोहल्ला हैअंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका पर हिंदू पक्ष से अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु जैन ने बहस जारी रखते हुए कहा कि जिला प्रशासन ने वर्ष 1993 में आजादी पूर्व से चली आ रही शृंगार गौरी की पूजा रोक दी। कानून में पूजा का अधिकार सिविल अधिकार है। इसकी सुनवाई करने का सिविल कोर्ट को अधिकार है।

 

हिंदू विधि के अनुसार मंदिर ध्वस्त होने के बाद भी जमीन का स्वामित्व मूर्ति में निहित रहता है। मूर्ति एक विधिक व्यक्ति है, जिसे अपने अधिकार की रक्षा के लिए वाद दायर करने का अधिकार है।

जैन ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास एक्ट के तहत ज्ञानवापी परिसर पर मंदिर का स्वामित्व है। ज्ञानवापी एक मोहल्ला है। ज्ञानवापी नाम की कोई मस्जिद नहीं है। आलमगीर मस्जिद ज्ञानवापी से तीन किलोमीटर दूर बताई जाती है। विवादित मस्जिद को आलमगीर मस्जिद का नाम दिया गया है।

 

शृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति मांगीअपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने कहा कि वह पता लगा रहे हैं कि 1993 में पूजा रोकने का आदेश लिखित है अथवा नहीं। इसकी जानकारी कोर्ट को दी जाएगी। मुस्लिम पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी का कहना है कि शृंगार गौरी की साल में एक दिन पूजा होती रही है। इस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। सिविल वाद चतुराई से मस्जिद के भीतर पूजा की इजाजत लेने को दाखिल किया गया है। यह प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ है। दिल्ली की राखी सिंह समेत कुछ अन्य महिलाओं ने शृंगार गौरी की पूजा की अनुमति मांगी है।

एसपी को हाई कोर्ट में हाजिर होने का आदेशइलाहाबाद हाई कोर्ट ने चंदौली के एसपी को कांशीराम आवास योजना घोटाले की जांच के लिये पूरी पत्रावली के साथ 19 दिसंबर 2022 को हाजिर होने का निर्देश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने चंद्र मोहन सिंह की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याची के अनुसार 2013 में शहरी गरीबों व आवास रहित लोगों को कांशीराम आवास आवंटन घोटाले की जांच की गई। पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट दाखिल की जिसे कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया।

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