रक्षा मंत्रालय ने बताया कि सेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 84328 करोड़ रुपये की लागत से हल्के टैंक जहाज-रोधी मिसाइल लंबी दूरी के निर्देशित बम इन्फेंट्री लड़ाकू वाहन माउंटेड गन सिस्टम और विभिन्न प्रकार के ड्रोन खरीदे गए।
नई दिल्ली, एजेंसी। भारत ने 2022 में अपनी सेना की क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। लद्दाख सीमा गतिरोध के बीच चीनी सैनिकों द्वारा तवांग सेक्टर में घुसपैठ के प्रयास को देखते हुए सरकार इस साल भी सेना को और ताकतवर बनाने पर काम करेगी।
कई हथियार खरीदे गएरक्षा मंत्रालय ने बताया कि सेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 84,328 करोड़ रुपये की लागत से हल्के टैंक, जहाज-रोधी मिसाइल, लंबी दूरी के निर्देशित बम, इन्फेंट्री लड़ाकू वाहन, माउंटेड गन सिस्टम और विभिन्न प्रकार के ड्रोन खरीदे गए। वहीं, भारत ने अक्टूबर में, अपनी पहली स्वदेशी परमाणु-संचालित पनडुब्बी, आईएनएस अरिहंत से दागी गई एक बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया। इसी तरह, भारत अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन और फ्रांस के साथ बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस परमाणु-संचालित पनडुब्बियों वाला केवल छठा देश बन गया है।
चीन को टक्कर देने के लिए बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षणभारत ने दिसंबर में परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो 5,000 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को भेद सकती है। बता दें कि अग्नि-5 परियोजना का उद्देश्य चीन के खिलाफ भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है। वहीं, चीन के पास डोंगफेंग-41 जैसी मिसाइलें हैं, जिनकी रेंज 12,000-15,000 किलोमीटर के बीच है।
इन मिसाइल का भी परीक्षणभारत ने पिछले साल ब्रह्मोस मिसाइल, पृथ्वी-द्वितीय मिसाइल, अग्नि-4, अग्नि-3 और हेलिना मिसाइलों के विस्तारित रेंज संस्करण का भी परीक्षण किया। वहीं, भारतीय सेना ने एलएसी के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया है। सड़कों, पुलों और गोला-बारूद डिपो के निर्माण से लेकर अपने निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए सेना हर तरह से काम कर रही है।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों को रखा जारीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को शुरू किया। नौसेना ने कहा कि यह विमानवाहक पोत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति व स्थिरता सुनिश्चित करने में भूमिका निभाएगा। इसके अलावा, वर्ष 2022 में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पर कड़ी निगरानी रखने के अलावा जम्मू-कश्मीर में अपने आतंकवाद विरोधी अभियानों को जारी रखा। वहीं, पिछले साल इस क्षेत्र में “उल्लंघन” की केवल तीन मामूली घटनाएं दर्ज की गईं।