यूक्रेन के प्रमुख बंदरगाह केंद्र ओडेसा के आसपास के नौवहन और तटीय समुदायों को मंगलवार को सैन्य अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि नौसैना की बारूदी सुरंगे किनारे बह रही हैं। यूक्रेन और रूस ने एक-दूसरे पर यूक्रेनी तट पर माइन्स का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
कीव, एजेंसी। यूक्रेन के प्रमुख बंदरगाह केंद्र ओडेसा के आसपास के नौवहन और तटीय समुदायों को मंगलवार को सैन्य अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि नौसैना की बारूदी सुरंगे किनारे बह रही हैं। यूक्रेन और रूस ने एक-दूसरे पर यूक्रेनी तट पर माइन्स का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है, जो इस क्षेत्र में सुरक्षित आवाजाही को रोकता है।
सोवियत निर्मित माइंस को लंगर डालकर किनारे किए गया था, लेकिन एक तूफान में उनमें से कुछ निकल गईं और लहरों के साथ वे बह गई हैं। ओडेसा सैन्य प्रशासन के प्रवक्ता सेर्ही ब्राचुक ने टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप पर लिखा, ‘नौसेना की माइंस के अपने लंगर को तोड़ने और तट से बह जाने के साथ-साथ तट के आस-पास होने की उच्च आशंका है।’
जहाजों के आने-जाने पर रोक के लिए डाली थीं माइंसओडेसा सैन्य प्रशासन के प्रवक्ता ने एक अलग वीडियो में कहा कि पिछले साल 2022, मार्च से रूस ने यूक्रेन के खिलाफ एक अनिर्देशित हथियार के रूप में एंकर्स पर जहाज-रोधी बारूदी सुरंगों का उपयोग कर रहा है। रूस ने फरवरी 2022 के अंत में यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से ओडेसा के बंदरगाहों को अवरुद्ध कर दिया था, जो यूक्रेनी अनाज निर्यात के लिए मुख्य लोडिंग प्वाइंट है।
रूस ने तीन बंदरगाहों से हटाई नाकेबंदीरूस इस आक्रमण को “विशेष सैन्य अभियान” कह रहा है। संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता में मास्को और कीव के बीच एक समझौता हुआ था। इसके बाद जुलाई के अंत में तीन यूक्रेनी काला सागर बंदरगाहों से नाकाबंदी हटा ली गई थी। यूक्रेनी अनाज व्यापारी संघ यूजीए ने पिछले सप्ताह कहा कि तब से लेकर जनवरी के अंत तक यूक्रेन ने सुरक्षित मार्ग गलियारे के माध्यम से 17 मिलियन टन से अधिक अनाज और तिलहन का निर्यात किया।
अनाज के निर्यात में आई कमीव्यापारी संघ ने कहा कि जनवरी 2023 में रूस द्वारा जहाज निरीक्षण में जानबूझकर देरी की गई। इसकी वजह से कृषि उत्पादों के निर्यात में काफी कमी आई है। हालांकि, रूस ने इन आरोपों से इनकार किया है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022-23 सीजन में यूक्रेन अनाज का निर्यात 13 फरवरी तक 28.7% घटकर 29.2 मिलियन टन हो गया है। यह निर्यात जून तक चलता है। कम फसल और रूसी आक्रमण के कारण होने वाली रसद कठिनाइयों के कारण इसमें गिरावट आई है।