चीन छोड़ रही जापानी कंपनियों को भारत लाने पर होगी मोदी-किशिदा वार्ता, 20 मार्च को भारत आ रहे जापान के पीएम

जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा 20 मार्च को भारत की दूसरी यात्रा पर आ रहे हैं। इस दौरान उनकी पीएम मोदी के साथ चीन छोड़ रही जापानी कंपनियों को भारत लाने पर बातचीत होगी। सैन्य सहयोग भी एजेंडे में सबसे ऊपर होगा।

 

नई दिल्ली। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की मार्च, 2022 की नई दिल्ली यात्रा के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ उनकी चीन छोड़ रही जापानी कंपनियों को भारत में संयंत्र लगाने के मुद्दे पर बात हुई थी। उसके बाद दोनों देशों के संबंधित मंत्रालयों के बीच इस बारे में कई चरणों की बात हुई है और भारत जापान औद्योगिक प्रतिस्प‌र्द्धी साझेदारी (IJICP) ने इसके भावी रोडमैप का एक प्रारूप भी तैयार कर लिया है। अब जब दोनो देशों के प्रधानमंत्री अगले हफ्ते द्विपक्षीय शिखर वार्ता के लिए बैठेंगे तो उनकी तरफ से इस रोडमैप को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है।

 

सूत्रों ने बताया है कि इस रोडमैप के तहत जापान की बड़ी, मझोली, छोटी हर तरह की कंपनियों को भारत में मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए जमीन भी मिलेगी और उसके लिए आवश्यक श्रम की व्यवस्था भी भारत ही करेगा।

20 मार्च को भारत दौरे पर आ रहे किशिदा किशिदा 20 मार्च को अपनी दूसरी भारत यात्रा के लिए आ रहे हैं। विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि पीएम मोदी के साथ उनकी मुलाकात में द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर बात होगी। साथ ही जापान की अगुवाई में होने जा रहे जी-7 बैठक में और भारत की अगुवाई में हो रहे जी-20 बैठक को लेकर भी बातचीत होगी। जी-7 (दुनिया में आर्थिक तौर पर सबसे संपन्न सात देशों का समूह) की बैठक मई, 2023 में जापान में होनी है और पीएम किशिदा इसके लिए मोदी को आमंत्रित करेंगे।

हाल के वर्षों में कई बार भारतीय पीएम को जी-7 शिखर सम्मेलन में विशेष मेहमान के तौर पर आमंत्रित किया गया है। जी-20 शिखर सम्मेलन सितंबर, 2023 में नई दिल्ली में होनी है और उसमें हिस्सा लेने के लिए किशिदा एक बार फिर भारत आएंगे।

जापानी कंपनियों को हर तरह की सुविधा देगी सरकारसूत्रों ने बताया है कि जापान की कंपनियों को भारत में प्लांट लगाने के लिए सरकार हर तरह की सुविधा देने को व्यहारिक तौर पर रजामंद है। जापान की कंपनियां सब कुछ आनन-फानन में चाहती हैं। दूसरी तरफ, भारत सरकार को इन कंपनियों को आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कई स्तरों पर नियम-कानूनों को व्यवस्थित करना होगा। कई मामलों में राज्यों सरकारों का सहयोग लेना होगा। मोदी और किशिदा के बीच होने वाली वार्ता में इस बारे में काफी हद तक तस्वीर साफ हो जाएगी।

 

भारत के लिए यह बहुत ही बड़ा अवसर है कि जापान की तकरीबन तमाम बड़ी कंपनियां जीरो-चीन की नीति पर चलने का मन बना चुकी हैं। यानी इन कंपनियों के सप्लाई चेन में चीन की कोई भी हिस्सेदारी नहीं होगी।

चीन पर भी होगी चर्चाभारत और जापान के बीच होने वाली इस शिखर बैठक में हिंद प्रशांत क्षेत्र की गतिविधियां और इस क्षेत्र में चीन के रवैये का मुद्दा भी होगा। दोनो देशों के बीच हाल के वर्षों में बढ़ती घनिष्ठता के लिए बहुत हद तक चीन का आक्रामक व्यवहार को कारण बताया जाता है।

चीन के साथ खराब हो रहे भारत-जापान के रिश्तेचीन के साथ भारत और जापान के रिश्ते लगातार खराब होते जा रहे हैं। पिछले साल की बैठक में पीएम मोदी ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चीन के रवैये के बारे में पीएम किशिदा को बताया था। सूत्रों ने बताया है कि जापान और भारत के बीच सैन्य सहयोग की संभावनाओं को तलाशने को लेकर पिछले तीन-चार सालों से लगातार बात हो रही है और अब इस वार्ता को ठोस रूप देने की जरूरत दोनो तरफ से समझी जा रही है।

 

जापान ने रक्षा बजट में 20 फीसद की वृद्धिफरवरी, 2023 में जापान सरकार ने अपने रक्षा बजट में 20 फीसद की भारी वृद्धि करते हुए इसे 862 अरब डॉलर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। सितंबर, 2022 में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की दूसरी बैठक के बाद कहा गया था कि भारत व जापान के रणनीतिक हितों में काफी समानता है और रक्षा संबंधों को भी इसी तरह से आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

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