अब लू के थपेड़े झेलने के लिए रहें तैयार, बिहार और पश्चिम बंगाल समेत इन राज्यों में हीट वेव की चेतावनी

मौसम विभाग ने बिहार ओडिशा और पश्चिम बंगाल के अलावा कुछ राज्यों में लू चलने की चेतावनी दी है। विभाग ने बताया कि मध्य और उत्तर प्रायद्वीपीय भारत में अधिकतम तापमान फिलहाल 40 डिग्री से 42 डिग्री के बीच बना हुआ है।

 

नई दिल्ली, एजेंसी। देश के कई हिस्सों में मौसम का मिजाज अब बदलने वाला है। आने वाले दिनों में लोग लू के थपेड़े झेलने के लिए तैयार रहें। मौसम विभाग ने कहा है कि अगले तीन से चार दिनों के दौरान गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और बिहार में लू चल सकती है। वहीं, इस अवधि के दौरान मध्य, पूर्व और उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक लू चलने की संभावना है।

इन इलाकों में लू चलने की संभावना

मौसम विभाग की मानें तो गंगीय पश्चिम बंगाल में 17 अप्रैल, उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश और ओडिशा में 15 अप्रैल और बिहार में 15 से 17 अप्रैल तक लू की स्थिति रह सकती है। इसके अलावा मध्य और उत्तर प्रायद्वीपीय भारत में अधिकतम तापमान फिलहाल 40 डिग्री से 42 डिग्री के बीच बना हुआ है। वहीं, पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र और पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश और केरल में अधिकतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री अधिक है।

कब घोषित होती है हीट वेव या लू?यदि किसी मैदानी इलाके में अधिकतम तापमान कम से कम 40 डिग्री तक पहुंचता है तो हीट वेव घोषित किया जाता है। वहीं, पहाड़ों में 30 डिग्री और तटीय इलाकों में 37 डिग्री पारा पहुंचने पर लू चलने लगती है। लू का स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है। अगर किसी इलाके में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो इसे खतरनाक लू की श्रेणी में रखा जाता है।

 

1901 के बाद फरवरी सबसे गर्ममौसम विभाग ने बताया कि साल 2023 में फरवरी का महीना 1901 के बाद सबसे गर्म महीना था। हालांकि, मार्च के महीने में हुई बारिश से तापमान नियंत्रण में आया। पिछले साल 2022 में मार्च का महीना 121 सालों में सबसे गर्म और सूखा था। इसी साल अप्रैल का महीना 1901 के बाद से तीसरा सबसे गर्म महीना साबित हुआ।

सामान्य रहेगा मानसूनपहले, मौसम विभाग ने देश में मानसून के सामान्य रहने की भविष्यवाणी की है। विभाग ने इस साल औसत 96 फीसदी बारिश की भी संभावना जताई है। विभाग ने बताया कि मानसून पर अल नीनो का असर पड़ता है, लेकिन यह कहना कठिन होगा कि इसके कारण बारिश कम होगी।

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