डेढ़ माह के अंतराल में गंगा की धार ने सात बार गांव की ओर कटान किया। एक बार तो स्थिति यहां तक आ गई कि प्रशासन को गांव खाली करने के लिए मुनादी करानी पड़ी। यही सब हालात देखने-समझने और ग्रामीणों की पीड़ा सुनने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज दौरे पर हैं। वह बाढ़ प्रभावित कई जिलों का दौरा करेंगे।
नई दिल्ली। डेढ़ माह से गंगा में बाढ़ का दंश झेल रहे तटवर्ती गांवों की सुध आखिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ले ही ली। वह सोमवार को यहां पहुंचे और बाढ़ प्रभावितों लोगों को दर्द जाना। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने निर्धारित कार्यक्रम से लगभग आधा घंटा विलंब से सुबह 11:00 बजे फतेहपुर के राजपूत रेजीमेंट सेंटर के गोल ग्राउंड स्थित हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर से पहुंचे। यहां से वह बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का निरिक्षण करते हुए कैंप पहुंचे और लोगों को राहत सामग्री बांटी
70 गांवों को बाढ़ ने किया है प्रभावित
फतेहपुर के बाद मुख्यमंत्री बरौना के लिए रवाना हो गए, गंगा करीब डेढ़ माह से यहां उफान पर है। भले ही तीन-चार दिनों से जलस्तर घट रहा है, मगर डेढ़ माह के अंतराल में बाढ़ ने तटवर्ती 70 गांवों को प्रभावित किया है। सबसे अधिक पीड़ा पटियाली क्षेत्र के गांव बरौना को दी है, जबकि गंगा किनारे के गांवों को सुरक्षित करने के लिए शासन से निर्गत हुई करीब सात करोड़ की धनराशि से सबसे अधिक साढ़े पांच करोड़ से यहीं काम कराया गया था। इसके पीछे तर्क था कि गंगा की बाढ़ ने पिछले साल इसी गांव में अधिक तबाही मचाई थी।
सिंचाई विभाग ने यहां करीब 800 मीटर के दायरे में 19 जियो ट्यूब स्टड लगवाए थे। दावा किया गया था कि इस बार बाढ़ गांव में तबाही नहीं मचा सकेगी।
गंगा के उग्र होती छह स्टड हुए क्षतिग्रस्त
जियो ट्यूब के बारे में तर्क दिए गए थे कि यह विशेष प्रकार के कपड़े से बने हैं। यह पकड़ा न फटेगा, न गलेगा और न ही सड़ेगा। मगर, गंगा के उग्र होते ही एक-एक कर छह स्टड क्षतिग्रस्त हो गए और सिंचाई विभाग के दावों की पोल खुल गई। डेढ़ माह के अंतराल में गंगा की धार ने सात बार गांव की ओर कटान किया। एक बार तो स्थिति यहां तक आ गई कि प्रशासन को गांव खाली करने के लिए मुनादी करानी पड़ी। यही सब हालात देखने-समझने और ग्रामीणों की पीड़ा सुनने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज लोगों से मिलने पहुंच रहे हैं।