मुख्यमंत्री की अपील का मुस्लिम धर्मगुरुओं ने समर्थन किया ; सड़कों पर नहीं हुई नमाज, न प्रतिबंधित पशुओं की कुर्बानी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपील रंग लाई और इस बार भी प्रदेश में कहीं भी यातायात बाधित कर सड़कों पर बकरीद की नमाज नहीं पढ़ी गई। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी मुख्यमंत्री की अपील का समर्थन किया जिसके कारण नमाज ईदगाह अथवा अन्य तयशुदा पारंपरिक स्थानों पर ही हुई। सरकार का दावा है कि इस बार भी प्रतिबंधित पशुओं की कुर्बानी नहीं हुई है।

 

लखनऊ। ईद-उल-अजहा (बकरीद) के मौके पर उत्तर प्रदेश ने एक बार फिर देशभर में मिसाल पेश की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपील रंग लाई और इस बार भी प्रदेश में कहीं भी यातायात बाधित कर सड़कों पर बकरीद की नमाज नहीं पढ़ी गई। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी मुख्यमंत्री की अपील का समर्थन किया जिसके कारण नमाज ईदगाह अथवा अन्य तयशुदा पारंपरिक स्थानों पर ही हुई। सरकार का दावा है कि इस बार भी प्रतिबंधित पशुओं की कुर्बानी नहीं हुई है। प्रदेश सरकार ने बकरीद को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। संवेदनशील इलाकों में ड्रोन के जरिए आसमान से निगरानी की गई तो जमीन पर भारी पुलिस बल ने एक दिन पहले ही फ्लैग मार्च निकालकर लोगों में सुरक्षा का भरोसा जगाया था।

कुर्बानी के ल‍िए पहले से चिह्नित किए गए थे स्‍थान 

मुख्यमंत्री ने पहले ही प्रदेश के सभी जिलों के अधिकारियों और प्रदेश स्तर के वरिष्ठ अफसरों को निर्देशित कर दिया था। उन्होंने कहा था कि थाना, सर्किल, जिला, रेंज, जोन और मंडल स्तर पर तैनात वरिष्ठ अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र के धर्मगुरुओं, समाज के अन्य प्रतिष्ठितजन के साथ संवाद बना कर रखें, जिससे जनता के बीच सकारात्मक संदेश जाए। बकरीद पर कुर्बानी के लिए स्थान पहले से ही चिह्नित किए गए थे।

30 हजार से अधि‍क स्‍थानों पर पढ़ी गई नमाज

अनुमान के मुताबिक, इस वर्ष प्रदेश में 30 हजार से अधिक स्थानों पर नमाज पढ़ी गई। इसमें से करीब तीन हजार स्थानों को चिह्नित कर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। गौरतलब है कि प्रदेश में पहले हर शहर में लाखों लोग सड़कों व अन्य स्थानों पर नमाज पढ़ते थे, जिससे यातायात की समस्या उत्पन्न होती थी। इस बार सभी जगह शांतिपूर्ण ढंग से हर्ष और उल्लास के साथ बकरीद का त्योहार मनाया गया।

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