कनाडा की वाटरलू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एआइ तकनीक आधारित यह टूल विकसित किया है। इससे गंभीरता का सटीक आकलन हो सकता है। अध्ययन से जुड़े वाटरलू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एलेक्जेंडर वांग ने कहा यह नई तकनीक कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे चिकित्सकों के लिए अहम बन सकती है।
टोरंटो, कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले के लिए विज्ञानी नए उपचारों और जांच की प्रक्रिया में तेजी लाने के तरीकों पर काम कर रहे हैं। वे संक्रमण की गंभीरता का अंदाजा लगाने की तकनीक पर भी शोध कर रहे हैं। इसी कवायद में जुटे शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) आधारित एक ऐसा नया टूल विकसित किया है, जो कोरोना संक्रमण की गंभीरता को आंकने में मददगार हो सकता है। इससे संक्रमण को गंभीर होने से रोकने में मदद मिल सकती है।
कनाडा की वाटरलू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एआइ तकनीक आधारित यह टूल विकसित किया है। इससे गंभीरता का सटीक आकलन हो सकता है। अध्ययन से जुड़े वाटरलू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एलेक्जेंडर वांग ने कहा, ‘यह नई तकनीक कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे चिकित्सकों के लिए अहम बन सकती है। इससे कोरोना मामलों के बेहतर प्रबंधन में मदद मिल सकती है।’ वांग ने कहा, ‘कोरोना पीडि़त व्यक्ति में संक्रमण के गंभीर होने के खतरे का अंदाजा लगने से बेहतर इलाज निर्धारित किया जा सकता है। इससे रोगी को आइसीयू में भर्ती करने या वेंटीलेटर पर रखने का निर्धारण हो सकता है।’
साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, एआइ टूल को कोरोना मरीजों के एक्सरे के आधार पर संक्रमण का विश्लेषण करने के लिए तैयार किया गया है। यह टूल फेफड़े के एक्सरे से संक्रमण के फैलाव और जटिलता का पता लगाता है। वांग ने बताया, ‘अध्ययन के नतीजे उत्साहजनक हैं। इससे यह जाहिर होता है कि एआइ टूल कोरोना से मुकाबले में अहम और प्रभावी हथियार साबित हो सकता है।’