राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा प्रकृति रक्षा के विज्ञान पर आधारित है भारतीय जीवन पद्धति,

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि पर्यावरण की समस्याएं आज पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय हैं। इस समस्या से न केवल मानव जीवन प्रभावित हो रहा है बल्कि यह पशु-पक्षियों जीव-जन्तुओं पेड़-पौधों वनस्पतियों वनों जंगलों नदियों सभी के अस्तित्व के लिए भी घातक सिद्ध हो रही है।

 

लखनऊ ,राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विज्ञान ने वरदान के साथ प्रदूषण को भी बढ़ा दिया है। पर्यावरण की समस्याएं आज पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय हैं। इस समस्या से न केवल मानव जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि यह पशु-पक्षियों, जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों, वनस्पतियों, वनों, जंगलों, पहाड़ों, नदियों सभी के अस्तित्व के लिए भी घातक सिद्ध हो रही है। कोरोना ने मानव के सामने समस्याएं तो उत्पन्न की हैं, लेकिन अपने परिवेश और पर्यावरण के प्रति सचेत भी किया है। भारतीय जीवन पद्धति प्रकृति की रक्षा के विज्ञान पर आधारित है, जिसे विश्व ने भी माना है।

शनिवार को राजभवन से डिफाइंड वैल्यूज कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली द्वारा आयोजित प्रोजेक्ट युग परिवर्तन वैश्विक शिखर सम्मेलन-2021 के विषय पर आयोजित वेबिनार में राज्यपाल ने कहा कि कोरोना संक्रमण ने मानव समाज के सामने जो असामान्य परिस्थितियां उत्पन्न की हैं, उनमें अन्य चुनौतियों के साथ पूरी दुनिया के लोग वेदना व भय से ग्रस्त हैं। ऐसी परिस्थितियों में हमारे बोलने, लिखने, सोचने और समझने में संकट से उपजे दास्तान ही हावी रहते हैं। इसके बावजूद लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत समाज में ङ्क्षचतन और विमर्श की निरंतरता बनी रहती है।

 

राज्यपाल ने कहा कि यह प्रोजेक्ट युग परिवर्तन वैश्विक शिखर सम्मेलन- 2021 इसी की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इस संसार में कोई संकट आसन्न नहीं है। हमारे अपने विचार ही हमारे मित्र हैं। इस ²ष्टि से विचार ही वे बीज हैं, जिनका फल मनुष्य को मिलता है। राज्यपाल ने कहा कि कोरोना ने सभी को व्यक्तिगत स्वच्छता का महत्व सिखाया है, जो हमारे संस्कारों में गहरे थे, लेकिन हमने उनकी उपेक्षा करने की चेष्टा की, जिससे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ा। इस महामारी ने वित्तीय नियोजन का भी सबक दिया है।

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