अमेरिका ने कुछ सप्ताह पहले इन अफगान सहयोगियों के वीजा बनाने की पहल शुरू की थी। उस समय यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि वे कहां जाएंगे। अब बाइडन प्रशासन अस्थायी रूप से शरण दिलाने की संभावना तलाश रहा है।
वाशिंगटन, अमेरिका से सेना की वापसी के साथ ही उसकी सबसे बड़ी चिंता वो पचास हजार अफगान सहयोगी हैं, जो बीस साल तक उनकी मदद करते रहे। इनमें बड़ी संख्या में दुभाषिए व अन्य तकनीकी काम करने वाले लोग हैं। तालिबान ऐसे अफगान नागरिकों को लगातार धमका रहे हैं। अमेरिका इन सभी को मध्य एशिया के तीन देशों में शरण दिलाने की कोशिश कर रहा है।
अमेरिका ने कुछ सप्ताह पहले इन अफगान सहयोगियों के वीजा बनाने की पहल शुरू की थी। उस समय यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि वे कहां जाएंगे। अब बाइडन प्रशासन अस्थायी रूप से शरण दिलाने की संभावना तलाश रहा है। द न्यूज इंटरनेशनल के अनुसार वाशिंगटन कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में अफगान सहयोगियों को शरण दिलाने के लिए बात कर रहा है। यह जानकारी अमेरिकी अधिकारियों के ही माध्यम से मिली है।
ज्ञात हो कि अमेरिका और नाटो सेना की वापसी के दौरान ही तालिबान और अफगान सेना में संघर्ष तेज हो गया है और तालिबान ने कई जिलों पर कब्जा कर लिया है। ऐसी स्थिति में अमेरिका और नाटो देशों की सेना के साथ बीस साल तक अपनी सेवाएं देने वाले अफगान नागरिकों की जान को खतरा पैदा हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पहले ही कह चुके हैं कि मदद करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। गुरुवार को विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने भी ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के समकक्षों से मुलाकात की।