बाल संरक्षण  आयोग की सदस्या डा शुचिता चतुर्वेदी ने किया निरीक्षण,

बाल संरक्षण हेतु प्रदेश सरकार के द्वारा कई सारी योजनाएं चलाई जा रही है। अनाथ बच्चों से उन्होंने मुलाकात भी की। बच्चों के, उनके परिवार की स्थिति, स्कूल और शिक्षा की स्थिति इन सब बातों के बारे में जानकारी  उन्होंने ली।
कुशीनगर ; उत्तर प्रदेश,  राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्या डॉ0 शुचिता चतुर्वेदी के द्वारा आज जनपद कुशीनगर में जिला चिकित्सालय का निरीक्षण, मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना, और बाल संरक्षण  से जुड़ी संस्थाओं और अधिकारियों की समीक्षा बैठक, फैजुल उलूम मदरसा पडरौना का निरीक्षण किया गया। सर्वप्रथम माननीय उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्या ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया। उन्होंने पीकू  वार्ड,  ऑपरेटर रूम, ऑक्सीजन कक्ष, टीकाकरण केंद्र आदि का निरीक्षण किया। पीकू वार्ड के निरीक्षण के क्रम में उन्होंने पीकू वार्ड के आईसीयू कक्ष का  निरीक्षण किया। वहां दवाओं के बारे में जानकारी ली, अभिभावकों से बातें की और डॉक्टर को निर्देश दिया कि समुचित ध्यान रखा जाए। आईसीयू वार्ड में बंद पड़े ए0 सी0  को उन्होंने चालू करने को कहा। इतनी गर्मी एवं आर्द्रता के मौसम  में भी ए0 सी0 के बंद होने पर उन्होनें नाराज़गी जताई।  आईसीयू में  आये बहुत सारे अभिभावकगण द्वारा  मास्क नहीं लगाने  पर उन्होंने फटकारा भी और सीएमओ को मास्क वितरण के लिए निर्देशित किया। रिसेप्शन टेबल पर भी मास्क नहीं होने पर भी उन्होंने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने सख्त निर्देश दिया कि बिना मास्क के किसी की एंट्री ना की जाए ।इसके बाद वे टीकाकरण केंद्र पहुंची, वहां भी उन्होंने लगी भीड़ को मास्क लगाने के लिए तथा 2 गज की दूरी बनाकर लाइन में लगने को कहा।
टीकाकरण के  तुरंत बाद लोगों के रुकने की क्या व्यवस्था है इसके बारे में भी उन्होंने जानकारी ली। और अस्पताल की व्यवस्था पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि पीने के पानी की व्यवस्था होनी चाहिए, अन्य सुविधाएं होनी चाहिए  पीकू वार्ड तथा टीकाकरण केंद्र पर लगी गंदगी पर उन्होंने जमकर फटकार लगाई। इसके बाद वे जिला अस्पताल में ही बने वन स्टॉप सेंटर का निरीक्षण करने पहुचीं।  इस केंद्र पर पीड़ित महिलाओं की समस्याओं का समाधान एक ही छत के नीचे होता है। उक्त केंद्र पर सरकार की योजनाओं के एक भी पोस्टर नही लगे होने पर  उन्होंने नाराजगी जाहिर की। इस संदर्भ में उन्होंने वन स्टॉप सेंटर में स्टाफ रजिस्टर भी चेक किया, उनकी कार्यो के बारे में जाना,  और पीड़ित महिलाओं से भी मुलाकात की ।उनकी समस्याएं जानी। इसके बाद वे कलेक्ट्रेट सभागार में कोविड से अनाथ हुए बच्चों से मिलीं तथा बाल संरक्षण और बाल सेवा योजना से जुड़ी समीक्षा बैठक की । उन्होंने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री बच्चों को लेकर काफी संवेदनशील है, और बाल संरक्षण हेतु प्रदेश सरकार के द्वारा कई सारी योजनाएं चलाई जा रही है। अनाथ बच्चों से उन्होंने मुलाकात भी की। बच्चों के, उनके परिवार की स्थिति, स्कूल और शिक्षा की स्थिति इन सब बातों के बारे में जानकारी  उन्होंने ली। बैठक के दौरान बाल सेवा योजना के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया यह कोविड से अनाथ हुए बच्चों के लिए योजना है जिसमें ₹4000 प्रति बच्चा प्रतिमाह दिया जाता है, जिससे कि उनको यह न लगे कि वे किसी पर बोझ है। ऐसे बच्चों की कोई स्कूल फीस नहीं लगेगी जब तक वह पढेगे। इस संदर्भ में उन्होंने जिला उद्योग केंद्र,  जिला विद्यालय निरीक्षक, चाइल्ड लाइन ,समाज कल्याण अधिकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई, बाल कल्याण समिति के अधिकारियों को निर्देश दिए कि पीड़ितों का राशन कार्ड, स्कूल फीस माफी, परिवार के लिए ओडीओपी परियोजना,  विधवा पेंशन तथा समाज कल्याण की योजनाओं से लाभान्वित किया जाए । इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा हाईस्कूल और इंटर के पीड़ित बच्चों को टेबलेट और लैपटॉप भी मुहैया करवाए जा रहे हैं। उक्त समीक्षा बैठक में विभिन्न विभागों की योजनाओं की जानकारी माननीय सदस्या ने लिया तथा संबंधित अधिकारियों को पीड़ित बच्चों को तथा  परिवार को योजनाओं से जोड़े जाने का निर्देश दिया। अधिकारियों को संबोधित समीक्षा बैठक में उन्होंने बाल सेवा योजना के बारे में तथा तीसरी लहर से प्रभावित बच्चों के संदर्भ में विभिन्नअधिकारियों से रिपोर्ट मांगा तथा उन्हें निर्देश दिया।
इस संदर्भ में उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से  पीकू वार्ड  की तैयारी,संचारी रोग, यूनिसेफ के योगदान के संदर्भ में पूछा और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ पीड़ितों तक पहुंचाने हेतु आवश्यक निर्देश दिए। जिला विद्यालय निरीक्षक से उन्होंने ऑनलाइन क्लासेज के बारे में पूछा और यह भी निर्देश दिया कि सरकारी योजनाओं का लाभ पीड़ितों को मिले। कोविड से अनाथ हुए बच्चे की स्कूल फीस माफ की जाए। श्रम विभाग से उन्होंने जानकारी हासिल की कि कितने बच्चों को बाल श्रमिक के रूप में रेस्क्यू किया गया तथा इस संदर्भ में उनकी क्या कार्यवाही रही, उनके पुनर्वास हेतु क्या प्रयास हुए, बाल श्रम करवाने वाले लोगों पर एफ आई आर दर्ज हुई कि नहीं, कोर्ट में कंपनसेशन की प्रक्रिया की क्या स्थिति है आदि। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए बताया  कि यदि  पीड़ितों को न्याय नहीं मिलता है तो बच्चों के अपराधी आप लोग बन रहे हैं। इस संदर्भ में गुमशुदा बच्चों की भी सूचना  उन्होंने मांगी, बाल विवाह को लेकर मामले के बारे में सुना तथा बच्चों की तस्करी के मामले के बारे में भी जानकारी हासिल की। बैठक के अंत में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने माननीय सदस्या को उनके अमूल्य समय  देने के लिए आभार व्यक्त किया । इसके बाद माननीय सदस्या ने पडरौना के जमालपुर स्थित फैजुल उलूम मदरसा  का निरीक्षण करते हुए इस बात की जानकारी हासिल की कि कितने स्टाफ है ,कितने शिक्षक हैं, क्या पढ़ाई होती है साथ ही साथ अन्य बिन्दुओं के संदर्भ में भी पूरी जानकारी हासिल की। उक्त अवसर पर माननीय सदस्या के साथ सीडब्ल्यूसी की चेयरमैन श्रीमती दीपाली सिन्हा , अंजली पाण्डेय, महिला थानाध्यक्ष त्रिलोत्मा त्रिपाठी तथा अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।

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