2019 के अंत में चीन से निकला कोरोना वायरस संक्रमण पूरी दुनिया में महामारी बनकर छा गया। इसका प्रकोप अब तक जारी है। हालांकि इसके बचाव में वैक्सीन की खोज हो गई है और लोग इसकी खुराकें ले रहे हैं।
पेरिस, रॉयटर्स। फ्रांस के प्रधानमंत्री जीन कास्टेक्स (Prime Minister Jean Castex)ने शनिवार को दूसरे देशों पर लगाए प्रतिबंधों में रियायत दे दी है लेकिन शर्त के साथ। दरअसल उन्होंने आज कहा कि जो लोग कोरोना वैक्सीन की खुराक ले चुके हैं उनकी एंट्री पर रोक नहीं होगी लेकिन जिन्होंने नहीं ली है वो फ्रांस में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। यह फैसला कोरोना महामारी को फैलने व इससे बचाव को देखते हुए लिया गया है।
फ्रांस ने अबतक चीन या रूसी टीकों को मान्यता नहीं दी है। यूरोपीय संघ के औषधि नियामक ने अबतक फाइजर/बायोएनटेक, मॉडर्ना, जॉनसन ऐंड जॉनसन और एस्ट्राजेनेका के टीके को अधिकृत किया है।
फ्रांस ने भारत के सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा उत्पादित एस्ट्राजेनेका टीका लगवाने वालों को देश में आने की अनुमति यूरोपीय संघ द्वारा केवल यूरोप में उत्पादित एस्ट्राजेनेका टीके को मान्यता देने पर हुई आलोचना के बाद दी है।
कई यूरोपीय देश पहले ही भारत में निर्मित एस्ट्राजेनेका टीके को मान्यता दे चुके हैं, जिनका बड़े पैमाने पर ब्रिटेन और अफ्रीका में इस्तेमाल हो रहा है। दरअसल फ्रांस में नए कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (President Emmanuel Macron) लोगों को वैक्सीन लेने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि देश को वापस सामान्य हालात में लाया जा सके। 18 जुलाई, रविवार से ब्रिटेन, स्पेन, पुर्तगाल, साइप्रस, नीदरलैंड्स और ग्रीस से आने वाले लोगों ने यदि वैक्सीन की खुराक नहीं ली है तो उन्हें फ्रांस में आने से 24 घंटे पहले का कोविड-19 टेस्ट का नेगेटिव रिपोर्ट दिखाना होगा।
फिलहाल ब्रिटेन से आने वालों को 48 घंटों के भीतर टेस्ट कराना होता है वहीं अन्य देशों के लिए यह अवधि 72 घंटों का है। दरअसल शुक्रवार को ब्रिटेन ने फ्रांस से आने वालों के लिए क्वारंटीन अनिवार्य कर दिया है। शनिवार से फ्रांस आने वाले वैक्सीन की खुराक ले चुके लोगों को टेस्ट रिपोर्ट की जरूरत नहीं होगी।