एक बार किसी गरीब का ठेला नगर निगम तोड़ देती है, तो करीब 20 हजार रु का गरीब का नुकसान हो जाता है, जिसको कमाने में सालों लग जाते है, वाह रे सरकार ,ओर वाह रे कानून,
लखनऊ- सवांददाता, प्रदीप चौधरी ; राजधानी, नगर निगम, ज़ोन 2 के द्वारा टिकैतराय तालाब स्थित राम जानकी मन्दिर के सामने अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया जिससे गरीब दुकानदारों में भगदड़ मच गई कोई अपना ठेला लेकर भागा तो किसी ने अपनी दुकान खुद ही हटा दी, वहीं राम जानकी मन्दिर के सामने सड़क किनारे रक्खी तमाम गुमटियाँ नगर निगम, लखनऊ द्वारा हटवा दी गईं या तोड़ दी गईं। इन्ही दुकानों से उन लोगों के परिवार का भरण पोषण चलता है। इस अतिक्रमण हटाओ अभियान में आश्चर्यजनक बात ये रही कि गरीबों को होटल या गुमटी हटाने की मोहलत तक नहीं दी गई। ये कैसा अतिक्रमण हटाओ अभियान है जिसमे गरीबों पर सितम, अमीरों पर रहम, वहीं पास में रक्खे टेंट हाउस के पाइपों को छुआ तक नहीं गया।
उत्तर प्रदेश सरकार को क्यो नही इस तरह के अतिक्रमण को स्थाई जगह देकर इनकी रोजी- रोटी खाने कमाने के लिए व्यवस्था कर देनी चाहिए जिससे सरकार को इस तरह अतिक्रमण को बार बार हटा कर गरीबो का नुकसान न हो कही भी इन सबको को अपने ठेले और दुकानें लगाने के लिए जगह बना देनी चाहिए मगर नही क्योकी यहां तो जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत है, मतलब यह है की अगर आप बड़े दुकानदार है तो नगर निगम आपको नही हटाएगी वही अगर गरीब ठेला लगाकर अपने परिवार को दो समय की रोटी खिला रहा है उसको ही परेशान कर रहे है, एक बार किसी गरीब का ठेला नगर निगम तोड़ देती है, तो करीब 20 हजार रु का गरीब का नुकसान हो जाता है, जिसको कमाने में सालों लग जाते है, वाह रे सरकार ,ओर वाह रे कानून, ये अपने आप में एक सवाल है? नगर निगम अधिकारियों के लिये क्या ये समझा जाये कि जिसके पास पैसा है उस पर नगर निगम,लखनऊ के अधिकारी मेहरबान हैं ? जिन गरीबों के पास पैसा नही है वो अतिक्रमण के शिकार हो गये !