पेट्रोल की आसमान छूती कीमतों को लेकर पेट्रोलियम मंत्री ने लोकसभा में दिया बयान, कहीं ये खास बातें

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि पेट्रोल डीजल की कीमतों का निर्धारण वैश्विक बाजार में चल रहे रेट के आधार पर किया जाता है। लोकसभा में अपनी ब्रीफिंग के दौरान उन्होंने यह बात कही।

 

नई दिल्ली,  केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि पेट्रोल, डीजल की कीमतों का निर्धारण वैश्विक बाजार में चल रहे रेट के आधार पर किया जाता है। देश में ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर लोकसभा में अपनी ब्रीफिंग के दौरान केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री पुरी ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत अपनी ईंधन की कुल जरूरतों का करीब 85 फीसद दूसरे देशों से आयात करता है और वैश्विक बाजार में कीमतों का निर्धारण तेल का आयात उत्पादन और निर्यात करने वाले देश करते हैं।

पुरी ने इसके साथ ही कहा कि 2010 में UPA सरकार द्वारा सेक्टर में किए डिरेगुलेशन के आधार पर भारत में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों का निर्धारण किया जाता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में कीमतों का निर्धारण वैश्विक बाजार की कीमतों के आधार पर किया जाता है। आज के समय में 85 फीसद पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का आयात किया जाता है और वैश्विक स्तर पर कीमतों को तय करने का काम तेल प्रोड्यूस करने वाले और एक्सपोर्ट करने वाले देश करते हैं। फर्ज कीजिए कि अगर एक लीटर पेट्रोल की लैंडिंग कॉस्ट 40 रुपये बैठती है तो पेट्रोलियम कंपनियों को चार रुपये का मुनाफा होता है।

पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए जाने के बारे में पुरी ने कहा कि इस बात पर जीएसटी काउंसिल को फैसला लेना है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल पर 32 रुपये प्रति लीटर का एक्साइज टैक्स लेती है। राज्य सरकार भी 39 फीसद तक के टैक्स वसूलती है। पेट्रोल और डीजल के तहत लाए जाने के सवाल पर पुरी ने कहा कि इस बारे में फैसला जीएसटी काउंसिल को करना है।

पुरी ने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स के रूप में एकत्र रुपये का इस्तेमाल केंद्र सरकार कोविड-19 की वैक्सीन और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के भुगतान के लिए किया जाता है।

उन्होंने कहा, ”मैं सदन को इस बारे में सूचित करना चाहता हूं कि केंद्रीय एक्साइज के जरिए एकत्र किए जाने वाले 32 रुपये प्रति लीटर में से हम 80 करोड़ भारतीयों को फ्री में वैक्सीन उपलब्ध करा रहे हैं। साथ ही 2014 से लेकर अब तक किसानों को सभी प्रमुख फसलों के रूप में 30 से 70 फीसद तक की MSP का भुगतान कर रहे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिल रहा है।”

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