राजनाथ सिंह रूस के रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोगू से भी मिले। रूस में भारतीय राजदूत ने दोनों नेताओं की फोटो के साथ ट्वीट कर कहा कि दोनों नेताओं की बातचीत में भारत और रूस की गर्मजोशी से भरी दोस्ती और विश्वास की झलक थी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुशांबे में हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अहम बैठक में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद सबसे गंभीर खतरा है। आतंकवाद का किसी भी रूप में समर्थन करना मानवता के प्रति अपराध है। उन्होंने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ युद्ध के लिए प्रतिबद्ध है। आतंकवाद के साथ शांति और समृद्धि नहीं आ सकती है।
रक्षा मंत्री सिंह ने बुधवार को चीन, रूस, और एससीओ के अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की मौजूदगी में कहा कि सीमा पार से आतंकवाद समेत आतंकवाद के किसी भी स्वरूप को अंजाम और समर्थन देना मानवता के खिलाफ अपराध है। फिर इसके पीछे चाहे कोई भी मकसद क्यों न हो। भारत इस बात का आश्वासन देता है कि वह हमेशा आतंकवाद के सभी रूपों और साजिशों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि सुरक्षा को लेकर भारत विश्वास बहाली को सर्वोच्च वरीयता देता है।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने में बड़े देशों को हर स्तर पर अपनी उचित भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का मकसद क्षेत्र को शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर बनाना है। राजनाथ सिंह आठ देशों के प्रभावशाली संगठन एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने मंगलवार को तीन दिवसीय दौरे पर ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे पहुंचे। इस सम्मेलन में शामिल होने से पहले राजनाथ सिंह ने बेलारूस के रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल विक्टर ख्रेनिन से द्विपक्षीय बातचीत की। इसके अलावा, राजनाथ सिंह रूस के रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोगू से भी मिले। रूस में भारतीय राजदूत ने दोनों नेताओं की फोटो के साथ ट्वीट कर कहा कि दोनों नेताओं की बातचीत में भारत और रूस की गर्मजोशी से भरी दोस्ती और विश्वास की झलक थी। दोनों देशों ने रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने की पुष्टि की। इससे पहले, विदेश मंत्री एस. जयशंकर 14 जुलाई को एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने दुशांबे पहुंचे थे।
ताजिकिस्तान इस साल एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है और मंत्री एवं अधिकारी स्तर की कई सिलसिलेवार बैठकों का आयोजन कर रहा है। एससीओ को नाटो के जवाब के तौर पर देखा जाता है।भारत और पाकिस्तान 2017 में एससीओ के स्थायी सदस्य बने थे। इस समूह की स्थापना 2001 में रूस, चीन, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में की थी।