बीजेपी ने ताकत बढ़ाने के लिए नई नीति अपनाई हैं। जिसके तहत अब वो मुस्लिमों के लिए विकल्प बनेगी। इसके साथ ही उनका भरोसा भी जीतेगी। जिसके लिए वह मुस्लिमों से संवाद करेगी।
बरेली : नये चुनाव से पहले भाजपा मुस्लिम बहुल बूथों पर ताकत बढ़ाने में जुटी है। उनका भरोसा जीतने की जिम्मेदारी अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारियों को सौंपी गई है। वे ऐसे बूथों पर जाकर मुस्लिमों से संवाद करेंगे, सरकारी योजनाओं के लाभ गिनाकर सरकार के करीब लाने का प्रयास करेंगे। इसके लिए अल्पसंख्यक मोर्चा ने प्रदेशों में प्रशिक्षण सत्र शुरू कर दिए हैं।इससे दो लक्ष्य साधने की जुगत है।
पहला यह कि मुस्लिमों के लिए सिर्फ कांग्रेस, सपा या बसपा ही नहीं, भाजपा भी विकल्प है। दूसरा- बहुसंख्यकों का मजबूती से साथ मिल रहा, इसमें अल्पसंख्यक भी जुड़ जाएं। जिन प्रदेशों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, उन पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा।
जम्मू-कश्मीर में पांच सितंबर, इसके बाद हिमाचल प्रदेश में प्रशिक्षण सत्र हो चुका है। श्रीनगर के प्रशिक्षण सत्र में बतौर अतिथि शामिल होने वाले अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अजमल जैदी बताते हैं कि भाजपा के प्रति मुस्लिमों की सोच में बड़ा बदलाव हुआ।
जम्मू, हिमाचल और बिहार के प्रवास में देखा कि अब मुस्लिम कार्यकर्ता संकोच नहीं करते। वे आत्मविश्वास के साथ सरकार की योजनाओं की जानकारी मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में पहुंचा रहे। उत्तर प्रदेश में भी इस तरह का प्रशिक्षण हो चुका है। बीते विधानसभा चुनाव में प्रदेश के मुस्लिम मतदाता संदेश दे चुके कि उनके लिए भाजपा से परहेज नहीं है।
उस चुनाव में करीब आठ प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले थे। पार्टी ने भी दानिश आजाद को मंत्रीमंडल में शामिल कर संदेश दिया कि काम करने वाले कार्यकर्ता का सम्मान है। अब लोकसभा चुनाव की तैयारी भी चल रही। भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यकों को साधने में कितना सफल होगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।