कोर्ट ने बेंगलुरु के शिवाजीनगर इलाके में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले इस्तियाक अहमद द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की है। इस्तियाक ने कहा कि वे जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े वितरित करते हैं।
बेंगलुरु, पीटीआई। कर्नाटक हाईकोर्ट ने चुनाव अधिकारियों द्वारा जब्त किए गए चावल के बैगों को छोड़ने का आदेश देते हुए साफ तौर पर कहा है कि रिटर्निंग ऑफिसर या चुनाव अधिकारियों को चुनाव की घोषणा से पहले किसी सामग्री की तलाशी लेने या जब्त करने का अधिकार नहीं है।
‘चुनाव अधिकारी चुनाव की घोषणा से पहले अपनी शक्ति का उपयोग नहीं कर सकते’
जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने एक टिप्पणी में कहा, ”निर्वाचन अधिकारी या चुनाव अधिकारियों को चुनाव की घोषणा से पहले किसी भी सामग्री की तलाशी या जब्त करने का कोई अधिकार नहीं होगा। चुनाव अधिकारी चुनाव की घोषणा से पहले अपनी शक्ति का उपयोग नहीं कर सकते हैं। चुनाव की घोषणा के बाद आपके पास अधिकार होगा, लेकिन तब तक नहीं।”
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में किया ये दावाकोर्ट ने शिवाजीनगर इलाके में सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले इस्तियाक अहमद द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की। इस्तियाक जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े वितरित करते हैं।
सरकारी वकील ने कहा- वोट हासिल करने के उद्देश्य से चावल बांटना चाहता था याचिकाकर्ताइस्तियाक ने कोर्ट में दावा किया कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता है, जो सभी त्योहारों पर जरूरतमंदों को चावल बांटता है। उसने कहा कि चुनाव अधिकारी चावल जब्त नहीं कर सकते, क्योंकि उनके पास ऐसा करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। याचिकाकर्ता ने जब्त किए गए चावल छोड़ने की मांग की। उधर, कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील ने यह कहते हुए कार्रवाई का न करने के लिए कहा कि याचिकाकर्ता चुनाव में वोट हासिल करने के उद्देश्य से चावल बांटना चाहता था। हालांकि, उन्होंने यह माना कि चुनाव की घोषणा से पहले चुनाव अधिकारियों को इस सामग्री की तलाशी और जब्त करने का कोई अधिकार नहीं है।