FIR से जजमेंट तक ऑनलाइन, नाबालिग से दुष्कर्म और मॉब लिंचिंग पर मौत की सजा; 3 नए बिल से क्या बदलेगा

अमित शाह ने लोकसभा में तीन नए बिल पेश किए। ये बिल भारतीय न्याय संहिता भारतीय साक्ष्य विधेयक और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में बदलाव के लिए लाए गए हैं। इनके जरिए देशद्रोह कानून के खात्मे महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर लगाम लगाने की भी बात कही गई है। आइए जानें गृह मंत्री ने कौन से बिल पेश किए और उनका क्या असर होगा।

 

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। संसद के मानसून सत्र का अंतिम दिन भी हंगामेदार रहा। दोनों सदनों की कार्यवाही अब अनिश्चितकाल तक स्थगित हो गई है। इस बीच आज कई बिल भी संसद में पेश किए गए, जिसमें सबसे अहम कानून-व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने वाले 3 बिल थे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य विधेयक और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में बदलाव के लिए तीन बिल पेश किए। ये तीनों विधेयक 1860 से 2023 तक अंग्रेजों के जमाने से चल रहे थे। शाह ने कहा कि अब अंग्रेजों की कोई भी निशानी देश में नहीं रहेगी। इसी के साथ शाह ने देशद्रोह कानून के खात्मे, महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर लगाम लगाने की भी बात कही।

 

आइए जानें, गृह मंत्री द्वारा कौन से बिल पेश किए गए और उनका क्या असर होगा।

3 बिल जो पेश किए गए…

IPC की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS Law): अपराधों से संबंधित नए प्रावधानों को जोड़ने और संशोधित करने के लिए और उससे जुड़े या उसके आकस्मिक मामलों के लिए।

CrPc की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS): यह बिल सरकार दंड प्रक्रिया से संबंधित कानून में संशोधिन करने और उससे जुड़े प्रासंगिक मामलों के लिए ला रही है।

Evidence Act की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (BSB) : साक्ष्य के सामान्य नियमों में सुधार और निष्पक्ष सुनवाई के लिए  ये बिल लाया जा रहा है।

मॉब लिंचिंग और नाबालिग से दुष्कर्म पर मौत की सजा

मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे 3 बिल में सबसे बड़ा कदम मॉब लिंचिंग और नाबालिग से दुष्कर्म पर मौत की सजा है। सरकार ने मॉब लिंचिंग को हत्या की परिभाषा में लाया है। मॉब लिंचिंग तब कहा जाता है जब 5 से ज्यादा लोगों का एक समूह जाति, समुदाय, लिंग, भाषा के आधार पर हत्या करता है। बिल में ऐसे अपराधियों को 7 साल की कैद और अधिकतम मौत की सजा के साथ जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। वहीं, किसी भी सामूहिक दुष्कर्म के मामले में आरोपियों को 20 साल की कैद या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। 18 साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।

दाऊद जैसे भगोड़ों पर भी चल सकेगा केस

सरकार द्वारा पेश किए गए 3 कानून संबंधी बिल में भगोड़ों को सजा दिलाने का भी प्रावधान किया गया है। नए कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति देश छोड़कर भाग जाता है तो उसपर भी अब केस चल सकेगा। सत्र न्यायालय व्यक्ति की अनुपस्थिति में भी केस चला सकेगी और उस व्यक्ति को बचने के लिए वापस लौटना होगा।

ये भी हुए बदलाव

देशद्रोह कानून का होगा खात्मा।

हेट स्पीच देने पर भी अब 5 साल तक की सजा होगी।

नए बिल के अनुसार, सीआरपीसी में अब 356 धाराएं होंगी जबकि पहले 511 धाराएं थीं।

7 साल से ज्यादा सजा होने पर फोरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य होगा और लाइव वीडियोग्राफी होगी।

एफआईआर दर्ज करने से लेकर केस डायरी, चार्ज शीट और फैसला लेने तक की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल किया जाएगा।

अपराध कहीं भी हो, लेकिन एफआईआर देश के किसी भी हिस्से में हो सकेगी।

पहचान छिपाकर यौन संबंध बनाने वालों पर भी केस चलेगा और सजा मिलेगी, इससे लवजिहाद पर लगाम लगेगी।

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