22 अप्रैल को पर्यावरण पर चर्चा के लिए एक साथ होंगे पीएम मोदी-बाइडन-चीनी राष्‍ट्रपति जिनफ‍िंग और पुतिन, नहीं होगा पाक,

जलवायु शिखर सम्‍मेलन की बैठक में अमेरिका के घोर विरोधी चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनफ‍िंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का नाम भी शामिल है। इस बैठक में पाकिस्‍तान को आमंत्रित नहीं किया गया है।

 

नई दिल्‍ली, एजेंसी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22-23 अप्रैल को आयोजित होने वाले जलवायु शिखर सम्‍मेलन (Climate Change summit) में भाग लेंगे।  कोरोना महामारी के चलते  40 देशों के नेता इस वर्चुअल मीटिंग में हिस्‍सा लेंगे। इस शिखर सम्‍मेलन में शामिल होने के लिए अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने प्रधानमंत्री मोदी समेत 40 देश के नेताओं को आमंत्रित किया है। यह बैठक इसलिए भी उपयोगी है क्‍योंकि हाल में बाइडन प्रशासन की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि इस वर्ष ग्‍लासगो में होने वाले संयुक्‍त राष्‍ट्र जलवायु परिवर्तन सम्‍मेलन (COP26) के मार्ग में मील का पत्‍थर होगा। इस बैठक में पहली बार अमेरिका के घोर विरोधी चीन और रूस भी शामिल होंगे। इस बैठक में पाकिस्‍तान को आमंत्रित नहीं किया गया है।

इस बैठक में अमेरिका के घोर विरोधी चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनफ‍िंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का नाम भी शामिल है। इनके अलावा दक्षिण एशिया से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और भूटान के प्रधानमंत्री लोते शेरिंग को भी सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। इसमें जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रो और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन समेत कई यूरोपीय नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है। इस बैठक में सऊदी के किंग सलमान बिन अब्‍दुलाजीज, ब्राजील के राष्‍ट्रपति जायर बोलसोनारो और तुर्की के राष्‍ट्रपति रेसेप ताइप इर्डोगन भी शामिल होंगे। इस बैठक में बड़ी संख्‍या में व्‍यापारिक और नागरिक समाज के नेता भी हिस्‍सा लेंगे।

इस बैठक में लिए जा सकते हैं कई बड़े निर्णय

यह बैठक जलवायु परिवर्तन के लिहाज से काफी उपयोगी साबित हो सकती है। इस बैठक में कई बड़े निर्णय लिए जा सकते हैं। इस समारोह के जरिए अमेरिका जीवाश्‍म ईंधन से होने वाले जलवायु प्रदूषण को कम करने के लिए अहम कदम उठा सकता है। इसमें क्‍लाइमेट चेंज से होने वाले प्रभावों से जीवन और आजीविका की रक्षा करने की क्षमता को मजबूत करने के अवसरों पर चर्चा होगी। इसके अतिरिक्‍त क्‍लाइमेट चेंच से उत्‍पन्‍न वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों और उसके  प्रभाव पर चर्चा की जाएगी।

2030 उत्सर्जन लक्ष्य की होगी घोषणा

बाइडन प्रशासन ने पूर्व में कहा था कि शिखर सम्मेलन के आयोजन से पहले अमेरिका पेरिस समझौते के तहत अपने नए राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान के रूप में महत्वाकांक्षी 2030 उत्सर्जन लक्ष्य की घोषणा करेगा। प्रशासन ने कहा कि इस शिखर सम्मेलन और COP26 का मुख्य लक्ष्य वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के प्रयासों को गति देना है। बाइडन प्रशासन के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सम्मेलन में उन उदाहरणों को भी रेखांकित किया जाएगा कि किस प्रकार जलवायु महत्वाकांक्षा से अच्छे वेतन वाली नौकरियां पैदा होती हैं, नवोन्मेषी तकनीक विकसित करने में मदद मिलती है और कमजोर देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के अनुसार ढलने में मदद मिलती है।

चीन और अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन पर मिलाया हाथ

इस बैठक के पूर्व चीन और अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन पर हाथ मिलाया है। चीन ने कहा है कि दोनों देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आपस में मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस बाबत हाल में चीन के जलवायु शी झेनहुआ ​​और उनके अमेरिकी समकक्ष जॉन केरी के बीच शंघाई में कई बैठकें हुई थीं। इस बैठक के बाद दोनों देशों ने उत्‍सर्जन कम करने के लिए भविष्‍य में उठाए जाने वाले विशेष कदमों पर अपनी सहमति जताई है। जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका की मेजबानी में होने जा रही शिखर वार्ता में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी भाग लेंगे। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बताया कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग शिखर वार्ता में शामिल होने के साथ ही महत्वपूर्ण भाषण भी देंगे। बता दें कि अमेरिका और चीन दोनों ही देश विश्व में सबसे ज्यादा ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं। कई वर्षो के बाद दोनों देश जलवायु परिवर्तन पर एक साथ आ रहे हैं,

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