कोविड महामारी ने इकोनॉमी को दिया है ‘घाव’, कोरोना संकट के बाद के ग्रोथ के लिए निजी खपत, निवेश अहमः RBI

कोविड-19 की दूसरी लहर से उभर रही अनिश्चितताओं के बीच रिजर्व बैंक ने गुरुवार को कहा कि महामारी के बाद सतत आर्थिक वृद्धि के लिए निजी खपत और निवेश में रिवाइवल अहम होगा। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

 

नई दिल्ली, पीटीआइ। कोविड-19 की दूसरी लहर से उभर रही अनिश्चितताओं के बीच रिजर्व बैंक ने गुरुवार को कहा कि महामारी के बाद सतत आर्थिक वृद्धि के लिए निजी खपत और निवेश में रिवाइवल अहम होगा। आरबीआई ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 ने देश की इकोनॉमी पर एक ‘घाव’ छोड़ दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच टीकाकरण अभियान से निराशा को दूर करने में मदद मिल रही है। आरबीआई ने कहा है कि महामारी की दूसरी लहर से चालू वित्त वर्ष में वृद्धि से जुड़े अनुमानों में संशोधन किया जा रहा है।

वृद्धि दर को लेकर आरबीआई ने यह कहा,

केंद्रीय बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 में विकास दर को लेकर आम सहमति रिजर्व बैंक के पूर्व के 10.5 फीसद के अनुमान पर टिकती दिख रही है। आरबीआई ने सतर्क किया है कि महामारी इस परिदृश्य में सबसे बड़ा जोखिम प्रतीत हो रहा है। हालांकि, सरकार की ओर से पूंजीगत व्यय में वृद्धि, कैपिसिटी यूटिलाइजेशन में इजाफा और कैपिटल गुड्स के आयात में सुधार होने से इकोनॉमी में हालात बेहतर होने की गुंजाइश दिख रही है।

सतत विकास के लिए ये जरूरी

आरबीआई ने एक अलग बॉक्स में लिखा है कि महामारी खत्म होने के बाद वृद्धि दर में रिकवरी के लिए निजी खपत और इंवेस्टमेंट डिमांड में ड्युरेबल रिवाइवल अहम होगा। इसकी वजह यह है कि GDP में इनकी हिस्सेदारी 85 फीसद के आसपास बैठती है।

केंद्रीय बैंक ने साथ ही कहा है कि किसी भी तरह के संकट के बाद निवेश की तुलना में खपत में वृद्धि से रिकवरी आती है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है, ”हालांकि, निवेश पर आधारित रिकवरी ज्यादा टिकाऊ होती हैं और बेहतर रोजगार सृजन के जरिए कुछ हद तक खपत बढ़ाने में भी मदद मिलती है। दोनों मामलों में निजी खपत अहम है।”

बैंकों से कही ये खास बात

आरबीआई ने बैंकों को आगाह करते हुए उन्हें अपने फंसे हुए कर्जों पर करीबी निगाह रखने को कहा है। साथ ही उन्हें अधिक प्रोविजनिंग के लिए तैयार रहने को कहा है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल में नॉन-परफॉर्मिंग एसेट के क्लासिफिकेशन पर लगे बैन को हटा लिया है।

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