इस कॉन्फ्रेंस में एसबीएआई के चेयरमैन दिनेश खारा और आईबीए के चेयरमैन राजकिरण राय ने कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए सभी निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों और नए लोन उत्पादों के लॉन्च की जानकारी दी।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और इंडियन बैंकिंग एसोसिएशन (IBA) ने रविवार को साथ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस कॉन्फ्रेंस में एसबीएआई के चेयरमैन दिनेश खारा और आईबीए के चेयरमैन राजकिरण राय ने कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए सभी निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों और नए लोन उत्पादों के लॉन्च की जानकारी दी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा 5 मई, 2021 को की गई विभिन्न घोषणाओं की भी जानकारी दी गई।
कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि भारत सरकार एमएसएमई (MSME) को सहारा देने, आजीविका को सुरक्षित करने और कारोबारी गतिविधियों को मदद पहुंचाने के लिए कार्य कर रही है। कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि महत्वपूर्ण हेल्थकेयर सुविधाओं की वित्तीय मदद के लिए सरकार ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ECLGS) का विस्तार किया है।
एसबीआई और आईबीए के अधिकारियों ने कॉन्फ्रेंस में बताया कि ECLGS का विस्तार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) के लिए अच्छी खबर है। कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के चलते अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टर्स में व्यवसायों के सामने पैदा हुई चुनौतियों को देखते हुए सरकार ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना के दायरे को और बढ़ा दिया है।
ECLGS 4.0 में हॉस्पिटल्स, नर्सिंग होम्स, क्लीनिक व मेडीकल कॉलेज को ऑन-साइट ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना के लिए 2 करोड़ तक के लोन के लिए 100 फीसद गारंटी कवर होगा और ब्याज दर 7.5 फीसद से अधिक नहीं होगी। नागरिक उड्डयन क्षेत्र ECLGS 3.0 के तहत पात्र है। साथ ही ECLGS की वैद्यता को 30 सितंबर, 2021 तक या तीन लाख करोड़ रुपये की राशि के लिए गारंटी जारी होने तक बढ़ा दिया गया है। वितरण की अनुमति 31 दिसंबर, 2021 तक है।
जिन लोगों ने ECLGS 1.0 के अंतर्गत लोन लिया है, उन्हें चार साल की बजाय अब लोन चुकाने के लिए पांच साल का समय मिलेगा। इस लोन का ब्याज केवल 24 महीने तक चुकाना होगा। उसके बाद के 36 महीनों में मूलधन और ब्याज चुकाना होगा। इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम 3.0 के तहत लोन आउटस्टैंडिंग की 500 करोड़ रुपये की मौजूदा सीमा भी हटा दी गई है।
कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि इस पृष्ठभूमि में निजी क्षेत्र के बैंक निम्न कार्य कर रहे हैं:
1. विस्तारित ECLGS उपायों का क्रियान्वयन।
2. हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने और लोगों को कोविड उपचार मुहैया कराने के लिए कारोबारी इकाइयों को लोन उत्पाद उपलब्ध करवाना।
3. आरबीआई के Resolution Framework 2.0 के निर्बाध क्रियान्वयन के लिए सिस्टम और प्रॉसेस की दक्षता सुनिश्चित करना।