जहां बीते तीन वर्ष से एक्सपोर्ट में लगातार बढ़ोत्तरी बनी हुई थी वह इस बार घटकर अब तक महज एक तिहाई रह गई है। जुलाई माह के अंत तक आम का एक्सपोर्ट थम जाता है। ऐसे में बमुश्किल पिछले वर्ष की तुलना में आधे आम का ही एक्सपोर्ट हो पाएगा।
लखनऊ , कोरोना काल में फ्लाइट निरस्त होने का असर आम के एक्सपोर्ट पर इस बार साफ नजर आ रहा है। विदेश भेजे जाने वाले आम के निर्यात में इस साल जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। जहां बीते तीन वर्ष से एक्सपोर्ट में लगातार बढ़ोत्तरी बनी हुई थी वह इस बार घटकर अब तक महज एक तिहाई रह गई है। जुलाई माह के अंत तक आम का एक्सपोर्ट थम जाता है। ऐसे में बमुश्किल पिछले वर्ष की तुलना में आधे आम का ही एक्सपोर्ट हो पाएगा।
बीते साल 2018 में 96.8 मीट्रिक टन की आपूर्ति हुई थी। उसके बाद 2019 में 120 और 2020 में करीब 121 मीट्रिक टन आम का एक्सपोर्ट किया गया था। इस बार यह सिमट कर करीब 30 एमटी रह गया है। यानी करीब 91 मीट्रिक टन कम रह गया है। अधिकारियों की मानें तो इस माह के अंत तक करीब 50 मीट्रिक टन का एक्सपोर्ट आंकड़ा छुआ जा सकता है।
वर्ष – आम का निर्यात (मीट्रिक टन में)
2019 –120. 77
2020 -120.45
2021 –29.720 (अब तक विदेश भेजा गया आम)
एक्सपोर्ट का वर्ष 2019
आम की प्रजाति -वजन (किग्रा. में)
दशहरी-49234
लंगड़ा-51713
चौसा-19630
कुल -120.77 मीट्रिक टन
एक्सपोर्ट का वर्ष 2020
आम की प्रजाति -वजन (किग्रा. में)
दशहरी-64914
लंगड़ा-44838
चौसा-10293
कुल -120.45 मीट्रिक टन
एक्सपोर्ट का वर्ष 2021-आम की प्रजाति -वजन (किग्रा. में)
दशहरी-21158
लंगड़ा-3552
चौसा-3840
जरदालू-1170
कुल -29.720 मीट्रिक टन
इन देशों को गया है आम: खाड़ी देशों के दुबई, कतर, दोहा के अलावा लंदन को आम की खेप भेजी जा चुकी है।
मंडी सचिव संजय सिंह ने बताया कि विभिन्न देशों के करीब 130 मीट्रिक टन के आर्डर आने के बाद भी इस बार कोरोना संक्रमण ने एक्सपोर्ट के बीच बड़ी दीवार बनाए रखी। अक्सर फ्लाइट निरस्त होने से आम की आपूर्ति तेजी से आगे नहीं बढ़ सकी है। इस बार आधा लक्ष्य पाने में भी दिक्कत आ रही है। पहली बार न्यूजीलैंड, जापान, कोरिया से भी एक्सपोर्ट के आर्डर आए थे। लेकिन उन्हें भी गति नहीं मिल सकी।